जबलपुर: आदिवासियों के उजालों से ठेकेदारों की तिजोरियाँ भरीं, अफसर भी हुए मालामाल

  • सौभाग्य के दुर्भाग्य की काली कहानी
  • फील्ड स्टाफ पर मामूली कार्रवाई, कंपनी के शीर्ष अफसरों पर आँच नहीं, ठेकेदार बेदाग बरी
  • सौभाग्य योजना में 361 करोड़ के आरोपित घोटाले की जाँच करते और विधानसभा में जवाब प्रस्तुत करते।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-14 13:24 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। आदिवासियों के आशियानों को उजाले से भरने वाली सौभाग्य योजना असल में बिजली ठेकेदारों की तिजोरियाँ भरने का जरिया बन गयी। पूरे गोलमाल में बिजली कंपनी के अफसर भी मालामाल हुए।

सिर्फ दिखावे के लिए फील्ड स्टाफ पर कार्रवाई की गई और पूरे ठेकेदारों को क्लीन चिट दे दी गयी। यदि मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों की नीयत नेक होती तो सौभाग्य योजना में 361 करोड़ के आरोपित घोटाले की जाँच करते और विधानसभा में जवाब प्रस्तुत करते।

इस मामले में सिवनी की बरघाट विधानसभा से विधायक कमल मर्सकोले ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना लगाकर जवाब माँगा है।

ये है घोटाले की पटकथा| ध्यानाकर्षण सूचना के मुताबिक, 24 अक्टूबर 2017 को जारी आदेश में कहा गया था कि सौभाग्य योजना में घरेलू कनेक्शन के लिए आर्म्ड सर्विस केबल डिपार्टमेंट द्वारा प्रदान की जाएगी, लेकिन 26 फरवरी 2018 को जारी आदेश के अनुसार आर्म्ड सर्विस केबल की सप्लाई ठेकेदार को सौंप दी गयी।

पहले वाले आदेश में प्रति घरेलू कनेक्शन प्रदान करने के लिए 3 हजार 5 सौ 14 रुपये, 90 पैसे तय किए थे, लेकिन दूसरे आदेश में ये राशि बढ़ाकर 4 हजार 4 सौ 61 रुपये, 38 पैसे कर दी गयी। ये राशि कंपनी द्वारा ठेकेदारों को प्रदान कर दी गई है।

दस्तावेजों के अनुसार, राशि बढ़ाए जाने के कारण कंपनी द्वारा 90 करोड़ 34 लाख रुपये अतिरिक्त रूप से ठेेकेदारों को दिए गए। सौभाग्य योजना के विस्तार में भी इसी तरह के विरोधाभाषी आदेशों के कारण कंपनी को 270 करोड़ 66 लाख की चपत लगी है।

इस प्रकार दोनों कॉस्ट शेड्यूलों में गड़बड़ी होने के कारण वितरण कंपनी को 361 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ।

वर्ष 2017, 2018 व 2019 में चल रहे प्रोजेक्ट से संबंधित मामले हैं, इसलिए इससे संबंधित अधिक जानकारी उनको नहीं हैं। जिन अधिकारियों पर आरोप लगे थे, उनकी विभागीय जाँच की जा रही है। कई अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है।

- संजय भगवतकर, मुख्य महाप्रबंधक कार्य

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