जबलपुर: शहर का ऐसा एरिया जिसके हर हिस्से में अस्थाई कब्जों ने चौड़ी सड़कों को चलने लायक नहीं छोड़ा
- पश्चिमी हिस्से के सभी प्रमुख चौराहों पर सब्जी के ठेलों का कब्जा
- लोगों का निकलना हुआ मुश्किल
- स्थाई अतिक्रमण हटाये जाएँ, तभी जनता को राहत मिल सकती है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर का पश्चिमी हिस्सा ऐसा है, जहाँ पर ऐसी दशा है कि अस्थाई कब्जों की वजह से इसके सभी प्रमुख, तिराहों, चौराहों पर पीक आवर्स में निकलना बेहद मुश्किलों से भरा है। विशेष बात यह है कि इसके सभी अहम चौक के चारों हिस्सों में सब्जी, फल के ठेलों से लेकर अन्य तरह के बेतहाशा कब्जे हैं, जिससे निकलना तकलीफ भरा होता है। किसी शहर में ऐसा नजारा नहीं देखा जा सकता है, जहाँ उपयोगी तिराहों, चौराहों पर सब्जी के ठेलों ने कब्जा कर रखा है। अतिक्रमण से परेशान जनता कहती है कि जबलपुर इकलौता शहर है, जहाँ इस तरह के कब्जों की खुली छूट दी जा रही है। नगर निगम से लेकर प्रशासन तक इन चौराहों से कब्जा हटाकर जनता को सहूलियत देने तैयार नहीं है।
छोटी लाइन फाटक चौराहा
डेढ़ एकड़ का चौराहा, जिसमें चारों हिस्सों की सड़क, चौड़ी रोटरी है, इसके ग्वारीघाट, गोरखपुर, मदन-महल की ओर जाने वाले मार्ग पर सब्जी के ठेले ट्रैफिक का कबाड़ा करते हैं। इस चौक पर जगह ज्यादा देखकर लोगों ने अपनी सुविधा से कब्जे किये, इसका नतीजा यह हुआ कि पर्याप्त जगह होने के बाद भी चौराहे से शाम के वक्त निकलना बेहद मुश्किल भरा है।
एंट्री प्वाॅइंट वाला धनवंतरी नगर चौक
इस चौराहे पर भी कब्जे सालों से लोगों के लिए परेशानी का कारण बने हुये हैं। बालसागर में जब अतिक्रमण हटाये गये तो लगा जैसे यहाँ दशा सुधरेगी, लेकिन बालसागर बस्ती से कब्जे हटने के बाद इस चौराहे के नजदीक किसी तरह का परिवर्तन हुआ और सब्जी के ठेलों ने खाली जगह को घेर लिया। इस चौक पर भी लगभग सभी हिस्सों में ठेलों का कब्जा है।
त्रिपुरी पर एकदम अराजक हालात
इस तिराहे पर सामने दो थाने हैं, लेकिन उसके बाद कब्जों की वजह से निकलना आसान नहीं होता है। हर तरफ सब्जी के ठेले, ऑटो का कब्जा और गुमटी निकलने वालों की परीक्षा लेते हैं। जब मेडिकल तिलवारा मार्ग पर भीड़ ज्यादा होती है, उन परिस्थितियों में इस तिराहे और इसके आगे के तिराहे से निकल पाना बेहद मुसीबतों से भरा होता है, क्योंकि कब्जे बीच सड़क तक पहुँचकर रास्ता जाम करते हैं।
मेडिकल तिराहा भी अछूता नहीं
इस तिराहे पर यह स्थिति है कि सब्जी, फल के ठेले सड़क के बड़े हिस्से को घेरकर खड़े होते हैं। हालात ये तक हैं कि जब कोई एम्बुलेंस शाम के वक्त किसी मरीज को लेकर आ रही होती है तो उसको भी मेडिकल की ओर जाने के लिए बड़ी मशक्कत के बाद जगह मिल पाती है। यह चौक भी हर तरफ सब्जी की दुकानों, ठेलों के कब्जों से परेशान है।
गुलौआ चौक पर पूरे दिन बाजार
इस चौराहे के आसपास हाल ही में सड़क बनी और लगा जैसे यहाँ पर कुछ सुधार होगा, पर सब्जी के ठेले अब भी रास्ता रोक रहे हैं। सुबह और शाम के वक्त तो हालात ऐसे होते हैं कि यहाँ किसी कस्बाई बाजार सी दशा होती है। किसी भी वक्त यहाँ से निकलना इस सड़क को घेरे खड़े सब्जी, फल और फूल के ठेलों की वजह से आसान नहीं है।