दवाओं की किल्लत: टीबी की दवाओं की किल्लत, सिर्फ मिल रही 1 हफ्ते की दवाई

  • जिले में शासकीय-प्राइवेट मिलाकर करीब 6 हजार मरीज
  • मरीजों को दवाइयों के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ रही है।
  • जिला अस्पताल से मरीजों को दवा मिल रही है। जिले में 7 केंद्र ग्रामीण और 7 शहरी स्तर पर हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-13 13:40 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जिले में टीबी की दवाओं की किल्लत के चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में कई केंद्रों पर दवाइयाँ उपलब्ध नहीं हैं, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या पिछले कई महीनों से बनी हुई है।

एक तरफ जहाँ देश से 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य है, वहीं दूसरी ओर दवा की कमी सामने आ रही है। मरीजों का कहना है कि दवा न मिलने से जान पर संकट है, क्योंकि दवा के कोर्स के दौरान ब्रेक होने पर फिर से कोर्स शुरू करना पड़ता है।

मरीजों की सुविधा एवं तपेदिक की गंभीरता को देखते हुए कम से कम एक माह की दवा दी जानी चाहिए, ताकि दवा ख़त्म होने के पूर्व मरीज समय से अगले माह की दवा का इंतज़ाम कर सके तथा उसका कोर्स पूर्ण हो सके। बता दें कि जिले में शासकीय स्तर पर 4 हजार और निजी स्तर पर 2 हजार टीबी के मरीज पंजीकृत हैं, जिन्हें हर माह दवा की जरूरत पड़ती है।

बीते कुछ माह से न सिर्फ जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में टीबी की दवाओं की कमी बनी हुई है। मरीजों को 1-1 हफ्ते की दवा देकर काम चलाया जा रहा है, जिसके चलते मरीजों को बार-बार दवा के लिए आना पड़ता है।

पूरे मामले को लेकर जिला टीबी अधिकारी डॉ. संतोष ठाकुर ने बताया कि सेंट्रल टीबी डिवीजन से स्टेट और फिर स्टेट से अस्पतालों तक दवा की सप्लाई होती है। बीते करीब 6 माह से दवा की सप्लाई कम है इसलिए मरीजों को 1 माह की बजाय 1 हफ्ते की दवा दी जा रही है।

जिला अस्पताल से मरीजों को दवा मिल रही है। जिले में 7 केंद्र ग्रामीण और 7 शहरी स्तर पर हैं। जिनके माध्यम से मरीजों का पंजीकरण होता है और दवा उपलब्ध कराई जाती है।

महीनों से समस्या, समाधान नहीं

दवा की यह किल्लत पिछले कई महीनों से बनी हुई है इसके बाद भी समाधान नहीं निकाला जा रहा है। मरीजों को पूरे महीने की दवाई न मिलने से उनकी परेशानी बढ़ रही है। इस दिशा में अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। मरीजों को दवाइयों के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ रही है।

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