गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल: महज एक साल में ही उखड़ गई 7 करोड़ की सड़क

  • गारंटी पीरियड में होने का राग अलाप रहे निगम के अफसर
  • जाँच व कार्रवाई की जगह ठेकेदार को मात्र नोटिस
  • शहर के जनप्रतिनिधि व कई बड़े अफसर इसी सड़क से गुजरते हुए नर्मदा तट तक जाते हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-13 13:22 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में कितनी घटिया स्तर की सड़कें बनाई जा रही हैं, इसकी बानगी गौरीघाट रोड पर देखी जा सकती है। यहाँ पर 7 करोड़ की लागत से सड़क बनाई गई थी, जो एक साल में ही उखड़ने लगी है। हालात ये हैं कि बारिश में कई जगह पर तो सड़क की ऊपरी सतह ही बह गई है।

कुछ जगह भारी-भरकम गड्ढे हो गए हैं, जिनसे हादसों का खतरा बढ़ गया है। खस्ताहाल सड़क की वजह से नर्मदा तट आने-जाने हजारों लोगों के साथ पूरा क्षेत्र परेशान है, लेकिन जिम्मेदार बेफिक्र हैं।

ठेकेदार द्वारा किए गए घटिया निर्माण कार्य को लेकर जब संभागीय यंत्री से बात की गई तो उन्होंने तर्क दिया कि गौरीघाट सड़क अभी गारंटी पीरियड में हैं, ठेकेदार को नोटिस दे दिया गया है। बारिश थमने के बाद दोबारा सड़क का मेंटेनेंस कराया जाएगा।

वहीं नागरिकों का कहना है कि नोटिस तो महज औपचारिकता है। इस मामले में घटिया निर्माण कार्य की जाँच और संबंधित निर्माण एजेंसी या ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

बताया गया है कि गौरीघाट रोड का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू किया गया था, जो पिछले साल 2023 में ही पूरा हुआ है। कटंगा से गौरीघाट तक सड़क बनाने के लिए 6 माह की अवधि निर्धारित थी, लेकिन ठेकेदार ने इसको बनाने में 4 साल से ज्यादा का समय लगा दिया।

क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि सड़क का निर्माण कार्य टुकड़ों-टुकड़ों में किया गया। इसकी वजह से सड़क को मजबूती नहीं मिल पाई और वह एक साल भी नहीं टिक पाई। बारिश के तेज बहाव में कई जगह सड़क की ऊपरी सतह तक बह गई। अब सड़क पर हर तरफ गिट्टियाँ नजर आ रही हैं। कई जगह सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। अ सड़क पर चलना मुश्किल हो रहा है।

डामरीकृत हिस्से को हटाए बिना कर दिया डामरीकरण

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि ठेके की शर्त के अनुसार पुरानी सड़क से पुराने डामरीकृत हिस्से को अलग करने के बाद नई सड़क का निर्माण किया जाना था। लेकिन ठेकेदार ने पुराने डामरीकृत हिस्से को हटाए बिना ही नया डामरीकरण कर दिया। अब जब बारिश के समय रोड पर वाहनों का आवागमन बढ़ा तो वही कमजोर सड़क का हिस्सा जहाँ-तहाँ से उखड़कर बिखरने लगा। इससे पूरी सड़क खराब हो गई। सड़क व फुटपाथ पर बिखरी गिट्टियों के कारण नंगे पैर यात्रा करने वाले काँवड़िओं के पैर भी लहूलुहान हो रहे हैं।

बनाने में 6 माह की जगह लगा दिए 48 माह

जानकारों का कहना है कि गौरीघाट सड़क बनाते समय अफसरों द्वारा सबसे ज्यादा ध्यान बिल के भुगतान पर दिया गया, क्योंकि ठेकेदार जितना काम करता था, उसका बिल सबसे पहले नगर निगम में लगाता था और जब तक उसका भुगतान नहीं हो जाता था, तब तक सड़क का काम ही आगे नहीं बढ़ा।

इसी चक्कर में 6 माह के अंतराल में बनने वाली 7 करोड़ की सड़क 48 माह में बनकर तैयार हो पाई और अब जब उसके मेंटेंनेस की बारी आई तो गड्ढे भरने में बारिश थमने का इंतजार किया जा रहा है। इस पर जिम्मेदार अधिकारी ये तर्क दे रहे हैं कि ठेकेदार की 60 लाख रुपए परफाॅर्मेंस गारंटी राशि जमा है, यदि मेंटेनेंस नहीं किया गया तो उसे जब्त कर लिया जाएगा।

यहीं से गुजरती हैं आयुक्त व अन्य अफसर

क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि शहर के जनप्रतिनिधि व कई बड़े अफसर इसी सड़क से गुजरते हुए नर्मदा तट तक जाते हैं। खुद निगमायुक्त प्रीति यादव का निवास ललपुर में है। उनका इस सड़क से रोज आना-जाना होता है, लेकिन अभी तक उन्होंने भी सड़क की घटिया क्वालिटी पर संज्ञान नहीं लिया। तकलीफ जनता के ही हिस्से में आ रही है।

गौरीघाट रोड गारंटी पीरियड में है, इसके मेंटेनेंस के लिए ठेकेदार को पत्र लिख दिया गया है और एक नोटिस भी दे दिया गया है। बारिश थमने के बाद खराब हिस्से को ठेकेदार सुधार करेगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसकी परफार्मेंंस गारंटी के जमा 60 लाख रुपए जब्त कर लिए जाएँगे।

पवन श्रीवास्तव, संभागीय यंत्री ननि

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