रियलिटी: सुगम भारत अभियान के तहत हो रहे निरीक्षण से सरकारी संस्थानों की खुल रही पोल

दिव्यांगों का दर्द: पानी ज्यादा नहीं पीते ताकि बार-बार शौचालय न जाना पड़े

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-05 08:38 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

दिव्यांग यदि किसी दिन अपना दर्द बताना शुरू करें तो सुनने वालों के कान के पर्दे फट जाएँ और उन्हें खुद पर ही ग्लानी महसूस हो कि आखिर इन्हें इतना दर्द दिया क्यों जा रहा है। जिन्हें कम या बिल्कुल भी नहीं दिखाई देता, जो ठीक से बोल और सुन नहीं सकते, जो ठीक से चल भी नहीं सकते उन्हें किसी की दया नहीं चाहिए उन्हें तो केवल वे अधिकार चाहिए जो संविधान देता है। सरकारी संस्थान जहाँ शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है वहाँ के टॉयलेट ऐसे हैं कि दिव्यांग जाना ही नहीं चाहते। यही कारण है कि वे पानी नहीं पीते, ताकि बार-बार गंदगी और बदबू से भरी उस जगह उन्हें जाना ही न पड़े जहाँ उनका दम घुटता हो। कहने को दो-चार सीढ़ियाँ हैं लेकिन जो फर्श पर ठीक से नहीं चल सकते उनके लिए तो ये सीढ़ियाँ पहाड़नुमा हैं। बेहतर होगा कि अब घोषणाओं से दूर वास्तविक कार्य किए जाएँ।

भारत सरकार के सुगम भारत अभियान के तहत स्कीम फार इम्पलिमेंटेशन पर्सन विद पीडब्ल्यूडी के तहत कराई जा रही जाँच में ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि लगता है कि अभी तक कुछ किया ही नहीं गया है। जाँच दल ने मंगलवार को डाइट का निरीक्षण किया तो यहाँ भी टाॅयलेट, रैम्प और कई अन्य खामियों से सामना हुआ। यहाँ छात्रावास में जो रैम्प बना हुआ है वह ऐसा है कि सामान्य इंसान भी इसमें ठीक से नहीं चल सकता फिर दिव्यांगों के लिए तो इसमें चलना बहुत कठिन है। रैम्प में रेलिंग नहीं है जिससे नेत्रहीन और अन्य के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। प्रथम तल पर लाईब्रेरी है जिसमें जाना ही पड़ता है इसलिए यहाँ लिफ्ट या रैम्प की व्यवस्था होनी ही चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।

जाँच रिपोर्ट जल्द सौंपेंगे

संभागायुक्त द्वारा गठित जाँच दल में शामिल डॉ. रामनरेश पटेल से जब इस सम्बंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जल्द ही निरीक्षण की जाँच रिपोर्ट संभागायुक्त को सौंपी जाएगी। जहाँ भी मानक के अनुसार निर्माण नहीं हैं उनका उल्लेख होगा और दिव्यांगों के अनुसार जो सुविधाएँ होनी चाहिए उनका भी ब्योरा दिया जाएगा। निरीक्षण के दौरान डॉ. राजकुमारी दुबे सहप्रभारी, ओपी सिंह सहायक एवं शिक्षक प्रमोद कुमार श्रीवास्तव शामिल थे।

शासकीय जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान में मिलीं कई खामियाँ

दर्द जो सामने आया

यहाँ का जब निरीक्षण किया गया तो दिव्यांगों का दर्द भी सामने आ गया। दिव्यांगों ने कहा कि हमें नहीं चाहिए कि आप बेहतर पेयजल दो, हम घर से अपने लिए पानी की बॉटल ले आएँगे लेकिन साफ-सुथरा टॉयलेट तो दो, हम वहाँ तक जा सकें ऐसा कॉरिडोर दो, सीढ़ियाँ हैं तो रैम्प दे दो, ताकि ट्राइसाइकिल वाले भी जा सकें।

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