जबलपुर: देश-विदेश से ऐतिहासिक बावड़ियों को देखने जबलपुर आएँगे लोग

  • रानी दुर्गावती कालीन दो बावड़ी कायाकल्प के बाद हुईं लोकार्पित
  • पद्मश्री शर्मा ने कहा- गढ़ा और उजार पुरवा बावड़ी के जीर्णोद्धार के लिए लोक निर्माण मंत्री सिंह बधाई के पात्र
  • क्षेत्रीयजनों की जिम्मेदारी है कि आप इसे संरक्षित रखें, इसे स्वच्छ रखें

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-12 09:04 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जल संरक्षण के क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबुआ में कार्य करता हूँ, लोग दूर-दूर से उस कार्य को देखने भी आते हैं पर अब मैं लोगों से कहूँगा कि जल संरक्षण के कार्य को देखना हो तो जबलपुर जरूर जाइए, क्योंकि जल के महत्व को समझते हुए लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने ऐतिहासिक और पुरातन बावड़ी जो गंदगी और कीचड़ से भरी रहती थीं उनके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाकर उन्हें जल मंदिर के रूप के स्थापित किया है, यह सबके लिए अनुकरणीय है।

यह बात पद्मश्री डॉ. महेश शर्मा ने गढ़ा स्थित राधाकृष्ण बावड़ी के लोकार्पण अवसर पर कही। सोमवार को डॉ. शर्मा व लोक निर्माण मंत्री श्री सिंह ने गढ़ा एवं उजार पुरवा बावड़ी के जीर्णोद्धार एवं कायाकल्प कार्य का लोकार्पण कर उन्हें जनता को समर्पित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शर्मा ने कहा हमने त्रेता युग के समय सुना है कि पत्थर बनी माँ अहिल्या को स्पर्श करके भगवान श्रीराम ने उनका उद्धार कर दिया था।

यह हमने सुना और पढ़ा है किंतु किसी ने देखा नहीं है किन्तु आज जबलपुर में दो ऐतिहासिक बावड़ियों के जीर्णोद्धार को देखकर लगा जैसे हमने त्रेता युग के बारे में जो सुना है उसे आज कलियुग में पूरा होते देख रहे हैं और कीचड़ से भरे हुए गड्ढों को जल मंदिर बनते देख रहे हैं। इन बावड़ियों को आने वाले समय में देश-विदेश से लोग देखने अाएँगे।

100 साल की कल्पना को लेकर हुआ कार्य

श्री शर्मा ने कहा भाषण देना बहुत आसान काम है लेकिन कीचड़ और गंदगी से भरे गड्ढे में उतरना और दूसरों की पीड़ा को दूर करने के लिए दुर्गन्ध को सहन करना, यह साधारण बात नहीं है, क्योंकि आपका पद प्रतिष्ठा, सम्मान आपको इस कार्य को करने के लिए विवश नहीं करते हैं।

कोई व्यक्ति राजनीति में आता है तो वह पाँच सालों की ही सोचता है लेकिन मैंने राकेश सिंह को देखा है, उनके संकल्प को समझा और मुझे लगता है कि इनकी नजर में 100 साल का सपना है और यदि 100 साल का सपना नहीं होता तो जल जैसे क्षेत्र में यह कार्य नहीं करते।

उन्होंने कहा राज्य के मंत्री, केंद्र के मंत्री तो बहुत हुए और आगे भी बहुत होंगे किंतु मंत्रिमंडल में होने से यह समस्या हल नहीं होती, इसके लिए दूसरे के दर्द का अनुभव स्वयं को होना आवश्यक है। अपने पद और पॉवर का सही दिशा में और सकारात्मक रूप से उपयोग करना देखना हो तो श्री सिंह के कार्यों से सीख सकते हैं।

जल संरक्षण की दिशा में किए प्रयास

लोक निर्माण मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मैं जब सांसद बना और जल के पुरातन स्रोतों को समाप्त होते देखा तब मेरे मन में आया की जल संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। मैंने इस दिशा में कार्य प्रारंभ किए जिनमें 2009 में 20 दिनों तक जल रक्षा यात्रा की जो पूरे संसदीय क्षेत्र में चली थी लेकिन सिर्फ जल रक्षा यात्रा ही पर्याप्त नहीं थी इसके बाद भी हर वर्ष जल संरक्षण के लिए जनजागरण के कार्य सभी के साथ मिलकर करता रहा।

जिनमें तालाबों की सफाई, बरेला के पास गोमुख में ग्रेवेडियन बाँध का निर्माण, संग्राम सागर को स्वच्छ करके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, जनजागरण गोष्ठी का आयोजन आदि कार्य किए।

उसी दौरान ध्यान में आया कि हमारे जबलपुर में माँ रानी दुर्गावती के काल की ऐतिहासिक बावड़ियाँ हैं जिनमें गढ़ा क्षेत्र स्थित राधाकृष्ण बावड़ी और बल्देवबाग स्थित उजार पुरवा बावड़ी को देखा तो लगा इनका पुनरुद्धार होना चाहिए, इसके लिए भाजपा के कार्यकर्ताओं और स्थानीयजनों के साथ मिलकर श्रमदान किया।

ये रहे उपस्थित| इस दौरान महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, विधायक अशोक रोहाणी, अभिलाष पांडे, संतोष बरकड़े, नगर अध्यक्ष प्रभात साहू, ग्रामीण अध्यक्ष रानू तिवारी, ननि अध्यक्ष रिंकू विज, कमलेश अग्रवाल, पंकज दुबे, रत्नेश सोनकर, रजनीश यादव, अभय सिंह ठाकुर, अजय तिवारी, संदीप जैन शैलेंद्र विश्वकर्मा, अतुल चौरसिया, कौशल सूरी, राहुल खत्री, योगेश बिलोहा, अभिषेक तिवारी, राहुल साहू, जीतू कटारे, प्रिया संजय तिवारी आदि की उपस्थिति रही।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया बावड़ियों का नामकरण

श्री सिंह ने कहा बावड़ी की सफाई और जल संरक्षण के कार्यों को लेकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला और उन्हें इन बावड़ी के कार्य के बारे में बताया तो उन्होंने ही कहा कि इनका नाम जल मंदिर रखना चाहिए और आज जबलपुर की दो बावड़ी जल मंदिर के रूप में आपको समर्पित करते हुए प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

श्री सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब गाँव में आग लगती है और सारे लोग तालाब से पानी भर के उसे बुझाने का कार्य करते हैं तब एक छोटी चिड़िया भी अपनी चोंच में पानी भरकर आग को बुझाने का कार्य करती है, उससे जब पूछते हैं तो बताती है कि भविष्य में जब इतिहास लिखा जायेगा तो मेरा नाम आग बुझाने वालों में आएगा न कि आग लगाने वालो में।

उसी तरह बावड़ी सुंदर और स्वच्छ रूप में आपके लिए समर्पित की हैं और अब क्षेत्रीयजनों की जिम्मेदारी है कि आप इसे संरक्षित रखें, इसे स्वच्छ रखें और आप इसे देखें और लोगों को भी इसे देखने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि अपनी जिम्मेदारी हम निभाते हैं तो समाज और आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ कर पाएँगे।

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