जबलपुर: अब जाँच रिपोर्ट बताएगी कि टीबी पीड़ित के संपर्क में आने के बाद उपचार की जरूरत है या फिर नहीं
- जिला अस्पताल में प्रदेश की पहली जाँच मशीन की शुरुआत
- 24 घंटे में 88 सैंपल्स जाँचने की क्षमता, संभाग के 8 जिलों से आएँगे जाँच के लिए नमूने
- शासन के वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत यह मशीन लगाई गई है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अब केवल ब्लड की जाँच से पता चल सकेगा कि टीबी पीड़ित के संपर्क में आए व्यक्ति को उपचार की जरूरत है या नहीं। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत जिला अस्पताल विक्टोरिया में प्रदेश की पहली इम्यूनो ग्लोब्योलिन रिलीज ऐसे (इगरा) मशीन इंस्टाॅल की गई है।
शुक्रवार को इसकी विधिवत शुरुआत की गई। सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि शासन के वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत यह मशीन लगाई गई है। यह मशीन उन लोगों की जाँच करेगी, जो टीबी पीड़ितों के सीधे संपर्क में हैं। संपर्क में आए लोगों के ब्लड सैंपल्स लेकर इस मशीन से जाँच की जाएगी।
जाँच से शुरुआत में ही संक्रमण को पकड़ा जा सकेगा और उपचार शुरू हो सकेगा। इस अवस्था में संक्रमण लेटेंट फेज में होता है और गंभीर बीमारी का रूप नहीं लेता। पॉजिटिव आए मरीजों काे तुरंत उपचार देने से वे आगे जाकर टीबी की चपेट में आने से बच जाएँगे। मशीन की शुरुआत के मौके पर सीएमएचओ डॉ. मिश्रा, सिविल सर्जन डॉ. मनीश कुमार मिश्रा, मनोचिकित्सक डॉ. रत्नेश कुररिया, डॉ. एसएस दाहिया व सहायक प्रबंधक अरुण शाह मौजूद रहे।
केवल उन मरीजों का उपचार जो पॉजिटिव
सिविल सर्जन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने बताया कि अब तक टीबी पीड़ित के संपर्क में आए सभी व्यक्तियों को एहतियातन उपचार दिया जाता था, जाँच के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। अब जाँच के बाद केवल पॉजिटिव आए मरीजों को उपचार मिलेगा, टीबी की रोकथाम और बेहतर तरीके से हो सकेगी। इससे दवाओं और समय दोनों की बचत होगी।
सैंपल लेने के लिए तैनात की गई टीमें
जानकारी के अनुसार टीबी मरीज के संपर्क में आए व्यक्तियों के सैंपल लेने के लिए टीमें तैनात की गई हैं, जो संभाग के आठाें जिलों से ब्लड सैंपल कलेक्ट करेंगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीम को टीबी मरीजों की लिस्ट दी जाएगी, जिसके बाद प्रत्येक जिले में मौजूद टीम मरीजों के संपर्क में आए उनके परिजन तथा अन्य व्यक्तियों के सैंपल कलेक्ट करेगी। सैंपल को जिला अस्पताल लाया जाएगा और जाँच की जाएगी।
यह मशीन की खासियत
एक बैच में 44 सैंपल्स की जाँच
24 घंटे में 88 जाँचें होंगी
तकरीबन 1 करोड़ 5 लाख रुपए है लागत
जाँच के बाद रिपोर्ट सीधे मोबाइल पर मिलेगी।