जबलपुर: नमामि नर्मदे प्रोजेक्ट को मिले बजट यातायात को सुगम बनाने की हो पहल
- पहली कैबिनेट बैठक, शहर की अपेक्षाएँ
- अधूरी पड़ी योजनाओं को मिले गति
- जागी जनता की उम्मीद
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सभी संभावनाओं के बाद भी संस्कारधानी राजधानी बनने से वंचित रह गई, लेकिन यह पहल सुकून देने वाली है कि प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव आज बुधवार को जबलपुर में कैबिनेट की बैठक आयोजित कर रहे हैं। बैठक के कारण शहर में सूबे के लगभग सभी मंत्रियों का जमावड़ा रहेगा। इस बहुप्रतीक्षित पहल ने एक बार फिर से संस्कारधानी के बाशिंदों की उम्मीदें जगा दी हैं। जनता का विश्वास दृढ़ हो रहा है कि शहर के विकास के लिए अब ठोस व सक्रिय कदम उठेंगे। वर्षों से अधूरी पड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन को गति मिलेगी।
देखा जाए तो जबलपुर के विकास से जुड़ी कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ अधर में हैं। माँ नर्मदा के घाटों को विकसित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया 1042 करोड़ का नमामि नर्मदे प्रोजेक्ट 10 माह बाद भी जहाँ का तहाँ अटका हुआ है। ठाकुर ताल में नगर वन विकसित करने का मामला भी बजट के अभाव में खटाई में है। इस समय अगर शहर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है तो वह है यातायात की अराजकता...। फुटपाथ से लेकर सड़क तक पसर कर लगाई जा रहीं सब्जी व अन्य सामग्री की दुकानें, हाथ ठेले और जहाँ-तहाँ धमाचौकड़ी मचा रहे ऑटो और ई-रिक्शा इस समस्या की एक बड़ी वजह हैं।
इसके समाधान के लिए ऑटो लेन आदि के निर्माण के साथ लेफ्ट टर्न्स को कब्जों से मुक्त किया जाना चाहिए। औद्यौगिक सुविधाओं को बढ़ाने के साथ फुटपाथ पर कारोबार कर रहे लोगों को व्यवस्थित ढंग से हाॅकर्स जोनों में शिफ्ट किया जाना चाहिए। धनवंतरी नगर से दीनदयाल चौक होते हुए खजरी खिरिया बायपास तक चार दशक पहले से प्रस्तावित एमआर-4 का निर्माण होना चाहिए। कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने के लिए अन्य सर्विस रोड्स के निर्माण को गति मिलनी चाहिए। ब्राॅडगेज पर रायपुर के लिए वंदे भारत व जनशताब्दी जैसी ट्रेन की शुरुआत व अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए शासकीय स्तर पर प्रयास भी जरूरी हैं।