जबलपुर: लकड़ी के कारखानों के लिए नगर निगम ने बनाई थी योजना
- कागजों में दफन हो गया टिम्बर पार्क
- शहर में दो सैकड़ा से अधिक टिम्बर व्यवसायी
- सिर्फ जमीन आवंटन का देते रहे आश्वासन
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। टिम्बर व्यवसायियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिए नगर निगम द्वारा टिम्बर पार्क बनाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद जोर-शोर से तैयारियाँ तो शुरू हुईं लेकिन इसी बीच संबंधित जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते यह योजना चंद दिनों में ही ठंडे बस्ते में चली गई। अब हालात ये हैं कि पहले की तरह ही टिम्बर व्यापारी शहर में अपना कारोबार कर रहे हैं और हर साल गर्मी का मौसम आते ही आग लगने जैसे भयावह हादसे घटित होने का खतरा मंडराने लगता है।
शहर में दो सैकड़ा से अधिक टिम्बर व्यवसायी
मौजूदा समय में शहर के मदन महल, गंगा सागर, आगा चौक, गोरखपुर, रांझी, गढ़ा एवं अधारताल आदि इलाकों में करीब 230 टिम्बर व्यापारी अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। इन व्यवसायियों द्वारा सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दिया जा रहा है और लगभग 2 दशक पूर्व जब उक्त टिम्बर व्यापारियों ने कारोबार शुरू किया था तब वे आबादी अधिक नहीं होेने के कारण शहर के बाहरी इलाकों में थे। लेकिन नगर निगम सीमा के बढ़ते ही ये शहर के बीच में आ चुके हैं।
सिर्फ जमीन आवंटन का देते रहे आश्वासन
जानकारों की मानें तो टिम्बर कारोबार को बाहर करने नगर निगम द्वारा करीब 5 वर्ष जमीन मुहैया कराने का आश्वासन संबंधित व्यापारियों को दिया गया था। इसके बाद कई बार बैठकें होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई इस दिशा में नहीं की गई। यही वजह है कि कुछ ही दिनों में इस योजना की फाइल डिब्बे में बंद होकर रह गई। इतना ही नहीं जिम्मेदारों की इसी लापरवाही से टिम्बर कारखाने अब भी शहर में ही चल रहे हैं।
आग लगने सहित कई समस्याओं के बन रहे सबब
शहर में जहाँ-तहाँ स्थित टिम्बर व्यापारियों के यहाँ आने वाले भारी वाहनों से जब-तब जाम लगने और सड़क हादसे घटित होने का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके साथ ही गर्मी का मौसम आते ही इनमें आग लगने जैसे हादसे भी सामने आ जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद नगर निगम के जिम्मेदारों ने कभी भी टिम्बर पार्क काे स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए और आज भी शहरी आबादी के बीच इनसे परेशानियाँ सामने आ रही हैं।
एसोसिएशन ने कई जगह बताई थी भूमि
टिम्बर पार्क के लिए इस कारोबार से जुड़े व्यापारियों एवं एसोसिएशन सदस्यों ने नगर निगम को बरगी हिल्स आइटी पार्क और भटौली के पास जगह देने के लिए पेशकश की थी। इसके बाद जोर-शोर से नगर निगम के जिम्मेदारों ने मौका-मुआयना भी किया। लेकिन कुछ ही दिनों में संबंधित अधिकारियों ने उदासीनता की चादर ओढ़ ली और आज भी टिम्बर पार्क केवल कागजों में ही नजर आ रहा है।
टिम्बर पार्क की स्थापना के लिए फिलहाल कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। यही वजह है कि पूर्व की भांति ही टिम्बर व्यापारी अपना कारोबार कर रहे हैं। फिलहाल अभी में बाहर हूँ और वापस लौटकर इस संबंध में अधिक बात कर सकूँगा।
उमेश परमार, अध्यक्ष, टिम्बर एसोसिएशन जबलपुर