जबलपुर: कलेक्ट्रेट में खुला लीगल एड क्लीनिक विधिक सहायता केंद्र
- मम्मी को पापा परेशान करते हैं तो ले लो वकील अंकल की हेल्प
- शुभारम्भ अवसर पर अपर कलेक्टर नाथूराम गौंड सहित समस्त अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
- महिलाएँ भी सीधे पुलिस के पास जाने से कतराती हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कई घरों में अक्सर महिलाओं के साथ मारपीट होती है, पति या तो शराब पीकर मारपीट करता है या फिर अन्य कारणों से प्रताड़ित करता है। बच्चे यह सब देखते हैं और वे चाहते हैं कि माँ की मदद करें, लेकिन कुछ कर नहीं पाते।
महिलाएँ भी सीधे पुलिस के पास जाने से कतराती हैं। ऐसे में अब उन्हें कानूनी मदद कलेक्ट्रेट में मिलेगी। यहाँ लीगल एड क्लीनिक का शुभारम्भ किया गया है, जहाँ एक वकील होगा, जो बच्चों, महिलाओं और दिव्यांगों की मदद करेगा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव और अपर जिला जज उमाशंकर जायसवाल ने बताया कि लीगल एड क्लीनिक वह योजना है, जिसमें निर्धन, असहाय और मुख्यालय तक न पहुँचने वालों को न्याय दिलाया जाता है।
कलेक्ट्रेट में जिले का पहला लीगल एड क्लीनिक शुरू किया गया है। इसके जरिए जिले में ग्रामीण स्तर तक लोगों को विधिक सहायता पहुँचाई जाएगी। शुभारम्भ अवसर पर अपर कलेक्टर नाथूराम गौंड सहित समस्त अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की भी मदद
अगर किसी महिला के साथ घर में मार-पीट होती है, उसका पति उसे परेशान करता है या अन्य समस्याएँ हैं, तो उस महिला को इस क्लीनिक से मदद मिल सकती है। इस केंद्र से दिव्यांग, महिलाएँ और बच्चे भी लाभ पा सकते हैं।
यह लीगल एड क्लीनिक उन असहाय लोगों के लिए काम करेगा, जो जिला मुख्यालय आने में असमर्थ हैं या फिर धारा 12 के अधीन पात्रता में आते हैं। इस लीगल क्लीनिक में अधिवक्ता पैनल की तैनाती रहेगी, जो पीड़ित की शिकायत को सुनेगा और मुख्यालय स्तर पर पैनल को अवगत कराएगा। इसके बाद पीड़ित की समस्या को उसके ही स्तर पर हल करने की कोशिश होगी।
बच्चे, जो घर पर नहीं बता पाते समस्या
लीगल एड क्लीनिक केंद्र पर उन बच्चों को भी मदद मिलेगी, जो घर पर अपनी बात नहीं कह पाते या माता-पिता से खुलकर बात करने में डरते हैं। जिन दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता, उन्हें भी क्लीनिक के वकील कानूनी सहायता पहुँचाएँगे।