जबलपुर: एमएसएमई उद्योगों के लिए आयकर धारा 43 बी-एच असंगत और अव्यावहारिक

  • महाकोशल चेम्बर ने लिया विरोध का निर्णय
  • आयकर की धारा 43 बी-एच में लाया जाना असंगत व अव्यावहारिक है।
  • अव्यावहारिक निरूपित करते हुए प्रावधान को तत्काल निरस्त करने की माँग की है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-21 09:03 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। महाकोशल चेम्बर ऑफ काॅमर्स इंडस्ट्रीज की बुधवार को चेम्बर भवन में आयोजित बैठक में भारत सरकार द्वारा आयकर की धारा 43 बी-एच के अंतर्गत एमएसएमई के भुगतान अनुबंध की शर्त के अनुसार या अधिकतम 45 दिवस में किए जाने के प्रावधान पर एडवोकेट राजीव नेमा और सीए कमल बलेचा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए व्यापारियों के लिए इसे अव्यावहारिक निरूपित करते हुए प्रावधान को तत्काल निरस्त करने की माँग की है। उन्होंने बताया कि इस नियम से व्यापारियों पर अनावश्यक टैक्स के रूप में भार पड़ेगा।

इससे सिर्फ सरकार का फायदा होगा। इसके बावजूद आयकर की धारा 43 बी-एच में लाया जाना असंगत व अव्यावहारिक है। व्यापारियों द्वारा टैक्स के रूप में जो आयकर जमा किया जाएगा, इससे व्यापारियों को आयकर टैक्स के रूप में हानि उठानी पड़ेगी।

चेम्बर ने सभी औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों की बैठक बुलाकर इस प्रावधान को वापस लेने की माँग करते हुए विरोध करने का निर्णय लिया है।

बैठक में चेम्बर अध्यक्ष रवि गुप्ता, राजेश चंडोक, हेमराज अग्रवाल, शंकर नाग्देव, युवराज जैन गढ़ावाल, अखिल मिश्र, अनूप अग्रवाल, अनिल जैन पाली, संतोष पटेल, अनुराग जैन, प्रदीप बिस्वारी, हरनारायण सिंह राजपूत, गुलाब राय, निशांत गुलाबवानी, संजीव गुलाटी, नरेन्द्र कुमार मान, अरविन्द्र खंडेलवाल, प्रवेश, कमल वर्धा आदि उपस्थित थे।

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