जबलपुर: उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती का मामला आवेदकों को नियुक्ति देने पर करो विचार
- कर्मचारी चयन मंडल व ट्रायबल वेलफेयर विभाग को हाई कोर्ट ने दिए निर्देश
- 15 हजार पदों को प्रथम चरण में व शेष पदों को द्वितीय चरण में भरा जाना था।
- नियमानुसार केवल एक बार ही संबद्धता शुल्क का भुगतान करना जरूरी है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्मचारी चयन मंडल और ट्रायबल वेलफेयर विभाग को निर्देश दिए हैं कि उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के तहत रिक्त पड़ी सीटों पर याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को नियुक्ति देने पर विचार करो।
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे उक्त अधिकारियों को फ्रेश अभ्यावेदन प्रस्तुत करें। अधिकारी अभ्यावेदनों पर विचार कर नियमानुसार उचित आदेश पारित कर याचिकाकर्ताओं को सूचित करें।
कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया तीन माह में पूरी करने के निर्देश दिए। जबलपुर निवासी रितु नामदेव, मीना चौधरी सहित अलग-अलग जिलों के एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018 की परीक्षा दी थी। विभाग ने 17 हजार पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। इनमें से 15 हजार पदों को प्रथम चरण में व शेष पदों को द्वितीय चरण में भरा जाना था।
कोर्ट को बताया गया कि अभी भी 5935 पद रिक्त हैं। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनका नाम मेरिट सूची में आया था। इसके बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। वहीं शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं से कम मेरिट वाले किसी अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं दी गई है।
तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
संवाददाता, जबलपुर| स्वशासी कॉलेज से संबद्धता शुल्क वसूली के मामले में माता गुजरी कॉलेज द्वारा तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट की सख्ती के चलते याचिकाकर्ता कॉलेज की ओर से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया गया, जस्टिस राज मोहन सिंह की एकलपीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए उसे निरस्त कर दिया।
माता गुजरी महिला महाविद्यालय के डॉ. कमलेश तिवारी और गोबिंद सिंह एजुकेशनल सोसायटी के सचिव जितेन्द्र सिंह सैनी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि उनका कॉलेज एक स्वायत्त शैक्षणिक संस्था है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमन के अनुसार स्वायत्त कॉलेज को हर साल संबद्धता शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। नियमानुसार केवल एक बार ही संबद्धता शुल्क का भुगतान करना जरूरी है।
वहीं विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित और विशाल बघेल ने आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि माता गुजरी कॉलेज द्वारा पूर्व में भी इसी मुद्दे को लेकर एक याचिका दायर की थी।
उन्होंने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष भी कॉलेज ने याचिका वापस ले ली थी। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता कॉलेज ने वर्तमान याचिका में पूर्व में याचिका वापस लेने का तथ्य छिपाया है।