प्लान में तो आइकोनिक ब्रिज: अगर कार चालक ने थोड़ी गफलत की तो मौत से सामना

  • पर अभी न गड्ढे भरने की फुर्सत न इच्छा शक्ति
  • ठेका कंपनी पर मेहरबान अधिकारी इसलिए रिंग रोड के निर्माणाधीन ब्रिजों पर जानलेवा हालात
  • इनमें मोटर साइकिल चालक गिरकर घायल हो रहे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-07 14:12 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। निर्माणाधीन रिंग रोड के पहले हिस्से में गौर के ब्रिज को चौड़ाकर फोरलेन किया जा रहा है। इसी तरह भटौली में अभी जो मौजूदा नर्मदा ब्रिज है इसको 180 करोड़ की लागत से एक्स्ट्रा डोज आइकोनिक ब्रिज जैसा फोरलेन बनना है।

प्लान तो बड़ा है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता, लेकिन ब्रिजों की हालत अभी ठेका कंपनी जांडु कंस्ट्रक्शन ने ऐसी बनाकर रखी है कि इसमें निकलने के दौरान हालात जानलेवा हैं। इन ब्रिजों के गड्ढों में मोटरसाइकिल चालक उचकर दूर जाकर गिर रहे हैं, तो रात में वाहन चालक गड्ढों में पूरी सावधानी से चलाने के बाद भी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।

दशा तो ऐसी तक है कि जरा सी गफलत वाहन चालक कर दे तो इन ब्रिजों में सीधे मौत से सामना हो सकता है। इन ब्रिजों से निकलने वाले लोगों का कहना है कि ठेका कंपनी को एनएचएआई के अधिकारियों ने पूरी सहूलियत प्रदान कर, गड्ढे भरने या सुधारने को लेकर पूरी खुली छूट दे रखी है।

कम से कम गड्ढों पर थिगड़े ही लगा दिए जाते। मौके पर अराजकता देखकर महसूस किया जा सकता है कि कंपनी के ऊपर किसी तरह की निगरानी रखने वाला कोई है ही नहीं।

मोटरेबल न किया तो कंपनी को हर स्तर पर फायदा -

किसी भी बड़ी संरचना में सड़क पर गड्ढे भरने या मौजूद सड़क को कुछ माह न सुधारा जाए तो इससे उस ठेका कंपनी को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ होता है। कंपनी को निर्माण के माहों के दौरान जो सुधार के लिए बजट खर्च करना है वह कंपनी बचत कर ले जाती है।

इसमें बस इतना करना होता है कि निर्माण एजेंसी के अधिकारियों को किसी तरह से खुश करके रखना है। निर्माण एजेंसी के अधिकारी अनदेखी कर दें तो दोनों का लाभ ही लाभ है।

सबसे पहले तो मरम्मत जरूरी थी

जानकारों का कहना है कि रिंग रोड के पहले हिस्से में जो गौर ब्रिज, नर्मदा ब्रिज पहले से बने थे जब इनको एनएचएआई ने टेकओवर किया तो सबसे पहले ब्रिजों की दशा को सुधारना था, पर कंपनी ने ब्रिजों को अपने कब्जों में लेने के बाद इनके किनारे नये ब्रिज की संरचना की शुरुआत तो कर दी पर पुराने बर्बाद हो चुके ब्रिजों पर सीमेण्ट की एक बोरी का लेप तक लगाने की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई।

लोगों का कहना है कि कल के लिए बड़े-बड़े सपने दिखाए जा रहे हैं, वहीं आदमी को रिंग रोड पर सहजता से चलने लायक तक नहीं छोड़ा।

दरारें ऐसीं की पूरा चका समा जाए

भटौली के नर्मदा ब्रिज में दरारें ऐसी हैं कि वाहन चालक का पूरा चका इनमें समा जाता है। सरिया निकल रहे हैं इनमें ब्रिज की दरारों से नीचे नदी में पानी बहते देखा जा सकता है। दिन का नजारा ऐसा खतरनाक है तो सोचिए कि इन्हीं हिस्सों से रात के समय आदमी किस तरह से मशक्कत और जान जोखिम में डालकर निकल रहा है। विशेष बात यह है यह सब ठेका कंपनी और निगरानी अधिकारियों को नजर नहीं आ रहा है।

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