जबलपुर: खसरे में नाम है और कॉलम 12 में सीलिंग दर्ज है, तो अब समस्या खत्म समझो
- कलेक्टर ने कहा- चंद सरकारी जमीनों के फेर में हजारों लोगों को परेशान करना न्यायोचित नहीं
- जमीन में सीलिंग दर्ज है जिससे न तो वे मकान पर लोन ले सकते हैं और न ही बेच पा रहे हैं।
- कलेक्टर ने कहा कि राजस्व अभिलेखों में समय सीमा में सुधार किये जाने की कार्रवाई की जाए।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सीलिंग एक ऐसा शब्द बन गया है जिसके नाम से ही जमीन मालिक डरने लगे हैं। जिले के हजारों भूमि स्वामी ऐसे हैं जिनकी पुश्तैनी जमीन है तो उनके नाम पर लेकिन खसरे के कॉलम 12 में सीलिंग शब्द दर्ज कर दिया गया है।
अब वे वर्षों से भटक रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। जेडीए की तो एक दर्जन से अधिक काॅलोनियों के निवासी ऐसे हैं जो जिन मकानों में रह रहे हैं वे हैं उनके नाम पर ही लेकिन जमीन में सीलिंग दर्ज है जिससे न तो वे मकान पर लोन ले सकते हैं और न ही बेच पा रहे हैं।
इन सब समस्याओं को हल करने के लिए कलेक्टर ने कठोर निर्णय लिए हैं। 1 जुलाई से सीलिंग सम्बंधी बहुत से नियम बदल जाएँगे जिससे लोगों को राहत मिलने लगेगी।
कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में सोमवार को सीलिंग को लेकर सभी राजस्व अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। सीलिंग भूमि की समीक्षा के दौरान पाया गया कि जिले में स्थित विभिन्न भूमियों के राजस्व अभिलेख खसरे के काॅलम 5 में निजी भूमि स्वामियों के नाम दर्ज होने के साथ-साथ कैफियत काॅलम 12 में सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि की प्रविष्टि दर्ज है।
यह प्रविष्टि में जबलपुर विकास प्राधिकरण के स्वामित्व की विभिन्न ग्राम की भूमियाें के कई खसरा नंबर भी दर्ज हैं और कई वैध काॅलोनियों के खसरा नंबर पर यह प्रविष्टि पाई गई है। ऐसी स्थिति में निजी भूमि स्वामियों को विक्रय और नामांतरण की प्रक्रिया में बेवजह कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही शासन की स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन की आय भी प्रभावित हो रही है।
इसके अतिरिक्त अनेक भूमि जिनको अतिशेष घोषित नहीं किया गया है जो सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि के रूप में दर्ज है। सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि की प्रविष्टि दर्ज होने से त्रुटिसुधार के लिए आमजन अत्यधिक परेशान हैं। नवीनीकरण और फ्री-होल्ड नामांतरण जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
भूमि स्वामी की कोई गलती नहीं
कलेक्टर श्री सक्सेना ने कहा कि प्राथमिक तौर पर निजी भूमि स्वामी की कोई गलती नहीं यह राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है कि शासकीय भूमियों से संबंधित भू-अभिलेख अपडेट और शुद्ध रखे जाएँ, यह कदापि न्याय संगत नहीं है कि शासकीय भूमि से संबंधित चंद प्रकरणों में हेरा-फेरी की आशंका के कारण हजारों निजी भूमि स्वामियों को परेशान किया जाये।
उन्होंने कहा कि राजस्व अभिलेख के कैफियत काॅलम 12 में दर्ज सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि की प्रविष्टियों के संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाये और जिले में नगरीय अतिशेष घोषित शासकीय भूमि को छोड़कर शेष राजस्व खसरों में दर्ज सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि की प्रविष्टि 1 जुलाई 2024 से प्रभावहीन मानी जायेगी।
कलेक्टर ने कहा कि राजस्व अभिलेखों में समय सीमा में सुधार किये जाने की कार्रवाई की जाए।