जबलपुर: स्टेशन की सुंदरता में करोड़ों खर्च, बगल में ही उजड़े पड़े हैं बच्चों के दोनों उद्यान
- हाऊबाग रेलवे काॅलोनी में रह रहे कर्मचारी सुविधाओं को मोहताज
- दो साल पहले ही मुख्य स्टेशन का कायाकल्प किया गया
- मंडल के साथ जोन के अधिकारियों को परवाह नहीं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।रेलवे में सुंदरता के लिए समय-समय पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। दो साल पहले ही मुख्य स्टेशन का कायाकल्प किया गया। यहाँ डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर स्टेशन को सुंदर बनाया गया। प्लेटफाॅर्म के बाहर एक ओर धुआँधार की आकृति बनाई तो दूसरी ओर दूधिया रोशनी जगमग की गई। इतना ही नहीं प्लेटफाॅर्म नंबर-एक और छह के बाहर बड़े-बड़े गार्डन तक बनाए गए। ऐसा नहीं कि रेलवे अपने यात्रियों की सुविधा का ख्याल नहीं रख रहा है, अगर कहीं समस्या की बात आती है तो वह है रेलवे के कर्मचारियों की, उनकी काॅलोनियों में भी गार्डन बनाए गए हैं मगर उन्हें सुंदर बनाने लाखो रुपए तक खर्च नहीं किए जा रहे हैं। देखरेख के अभाव में यह उजड़ रहे हैं। अब हाऊबाग रेलवे काॅलोनियों के उद्यानों की दुर्दशा ही देखी जा सकती है।
गौरतलब है कि रेलवे द्वारा अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने के लिए अलग-अलग आवास बनाए गए हैं। जहाँ अधिकारियों के लिए बड़े-बड़े बंगले बनाए गए हैं तो वहीं कर्मचारियों के लिए रेल काॅलोनियाँ बनाई गई हैं। इनमें से एक है हाऊबाग स्थित रेलवे काॅलोनी, जिसमें एक ओर अधिकारियों के लिए ताे दूसरी ओर कर्मचारियों के लिए आवास बनाए गए हैं। यह काॅलोनी करीब 25 से 30 साल पहले निर्मित होना बताया जा रहा है।
फूलों की जगह सूखी घास, रंग-रोगन तक नहीं
रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की अनदेखी के कारण हाऊबाग काॅलोनी में बनाए गए दाे उद्यागों में फूलाें की जगह जंगली सूखी घास लग रही है। रंग-रोगन और सफाई के अभाव में यहाँ हर तरफ गंदगी ही गंदगी नजर आ रही है। ऐसा नहीं है कि यहाँ केवल कर्मचारियों व उनके बच्चों के लिए ही उद्यान निर्मित है बल्कि एक अलग से उद्यान अधिकारियों के लिए भी बनाया गया है मगर उसका भी यहीं हाल है।
मंडल के साथ जोन के अधिकारियों को परवाह नहीं
आश्चर्य की बात तो यह है कि यहाँ जबलपुर मंडल के साथ ही पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। मंडल के अधिकारियों को तो कोई परवाह नहीं है मगर मुख्यालय के जिम्मेदार अधिकारी भी कर्मचारी काॅलाेनियों के उद्यानों को सँवारने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
शाम के वक्त कहाँ जाएँ बच्चे
यहाँ रहने वाले कर्मचारियों का मानना है कि काॅलोनी के बाहर निकलते ही मुख्य मार्ग चालू हाे जाता है जहाँ हर वक्त वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में बच्चे काॅलोनी के बाहर खेलने निकल नहीं सकते हैं। अब एक ही सहारा रहता है कि वे गार्डन में जाकर समय बिता सकें, मगर इसके हालात इतने बुरे हैं कि अंदर जाने से भी डर लगता है।