कोई नहीं दे रहा ध्यान: करोड़ों की बिल्डिंग में ताला लगने की नौबत
- बजट के अभाव से जूझ रहा दमोह नाका स्थित स्मार्ट सिटी का भवन
- आईटीएमएस और आईसीसीसी का भविष्य खतरे में, पत्र लिखने के बावजूद हाथ खाली
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। करोड़ों की जिस बिल्डिंग से शहर के ट्रैफिक पर नजर रखी जा रही थी उसी भवन में अब ताला लटकने की नौबत आन पड़ी है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्मार्ट सिटी को शासन से मिलने वाला बजट अब खत्म हो चुका है।
इस बीच शासन को कई पत्र लिखने के बावजूद अब तक हाथ खाली हैं। इसी के चलते यहाँ से संचालित आईटीएमएस (इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) और आईसीसीसी (इंटीग्रेटेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर) के दफ्तरों पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
63.34 करोड़ से बनी बिल्डिंग के प्रथम तल पर आईसीसीसी
केन्द्र सरकार से बजट मिलने के बाद स्मार्ट सिटी ने वर्ष 2018 में 63.34 करोड़ से 3 मंजिला भवन बनवाया। इसके बाद 36 करोड़ की लागत से प्रथम तल पर इंटीग्रेटेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर स्थाथित हुआ।
तत्पश्चात नगर निगम की डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन योजना, मेट्रो बसों एवं सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग शुरू हुई। वर्ष 2019 में कोरोना काल आने पर 3 सालों तक यहाँ कोरोना नियंत्रण कक्ष स्थापित कर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस एवं जिला प्रशासन की टीमों द्वारा मरीजों को जरूरी जानकारियाँ दी जाने लगीं। यहाँ हर फ्लोर का क्षेत्रफल करीब 3 हजार स्क्वेयर फीट है। आईटीएमएस में 10 तो वहीं आईसीसीसी के दफ्तर में 18 वर्क स्टेशन कार्य कर रहे हैं।
तीसरी मंजिल पर बने आईटीएमएस से साढ़े 5 लाख के हुए चालान
भवन की तीसरी मंजिल पर 27.34 करोड़ की लागत से इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किया गया। विभिन्न चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से यहाँ कार्यरत 44 सदस्यीय टीम द्वारा यातायात व्यवस्था की निगरानी की जाने लगी।
शहर के 12 चौराहों, 9 एण्ट्री व एग्जिट पॉइंट पर लगी सीसीटीवी की मदद से रेड सिग्नल तोड़ने, बेलगाम वाहन दौड़ाने और एक्सीडेंट करने वालों को ई-चालान भी भेजे जाने लगे। टेक्नोसिस सिक्योरिटी प्रा. लिमि. से 5 वर्ष के लिए हुए करार के बाद स्मार्ट सिटी द्वारा 27 करोड़ का भुगतान अभी तक कंपनी को किया जा चुका है। यहाँ से अभी तक आईटीएमएस ने 5 लाख 40 हजार वाहन चालकों को ई-चालान भेजे हैं।
दूसरी मंजिल पर काॅन्फ्रेंस हॉल एवं सर्वर रूम
दूसरी मंजिल पर आईटीएमएस से जुड़े उपकरण, सर्वर रूम, इलेक्ट्रिकल रूम, काॅन्फ्रेंस हॉल एवं जरूरी डाटा संग्रहित करने संबंधी दो दर्जन से अधिक कम्प्यूटर भी रखे हुए हैं।
यहीं से किसी भी बड़ी योजना के शुभारंभ मौके पर होने वाले कार्यक्रमों से जुड़ी टेलिफोनिक रिपोर्टिंग कर कर्मचारियों को जरूरी आदेशों एवं तैयारियों से जुड़े कार्यकलापों से अवगत कराया जाता है। पूरे भवन के संचालन में प्रतिमाह करीब 28 लाख रुपए खर्च होते रहे हैं। इनसे जुड़े कंट्रोल-रूम का बिजली बिल प्रतिमाह 2 लाख रुपए आता है।
निगम की योजनाओं की मॉनिटरिंग करने और ट्रैफिक व्यवस्था पर नजर रखने भवन बनवाया गया था। इससे योजनाओं एवं ट्रैफिक के संचालन में मदद भी मिली है। लेकिन बजट की कमी होने पर शासन को पत्र लिखकर अतिरिक्त फंड की माँग की गई है ताकि आगे भी नियमित सेवाएँ दी जा सकें।
- बालेन्द्र शुक्ला, प्रोजेक्ट ऑफिसर, स्मार्ट सिटी