जबलपुर: 36 गोदामों में धान की जाँच करेगी भोपाल की टीम
- कितनी धान किसान की, कितनी गुणवत्ता वाली और कितनी व्यापारियों की सब होगा साफ
- किसानों ने शुरू किया धरना
- किसान संघ ने पूर्व में जिला प्रशासन को अल्टीमेटम दिया था
डिजिटल डेस्क,जबलपुर| जिन 36 वेयर हाउसों में बिना अनुमति धान का भंडारण किया गया है अब उनकी जाँच के लिए भोपाल स्तर पर नए जाँच दल गठित किए गए हैं। इन दलों में भोपाल और स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों को शामिल किया गया है। इन पर यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे हर वेयर हाउस में जाकर यह पता लगाएँ कि वहाँ एकत्र की गई धान में से कितनी मात्रा वास्तविक किसानों की है, कितनी व्यापारियों की है और कितनी गुणवत्ताहीन है।
वहीं लम्बे समय से धान उठाए जाने की माँग कर रहे भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने धरना देना शुरू कर दिया है। एक माह से भी अधिक समय से 36 वेयर हाउसों के बाहर धान का जमाव करके रखा गया है और वहाँ देखरेख नहीं हो रही है जिससे बहुत सी धान रखे-रखे ही पीक रही है। कोंपल फूटने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। किसानों की परेशानी को समझते हुए किसान संगठनों ने शुरू में काफी सक्रियता दिखाई लेकिन इसके बाद वे भी शांत हो गए थे। अब भारतीय किसान संघ ने पाटन और मझौली तहसील में धरना शुरू कर दिया है। किसानों ने मौके पर ही खाना भी बनाया और जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।
कमेटी के निर्देश पर होगी धान की खरीदी-
प्रदेश स्तरीय जाँच दल शनिवार से जाँच शुरू कर सकता है और इसमें न केवल 36 वेयर हाउसों के बाहर रखी धान की जाँच होगी, बल्कि सिकमी पर जिन फर्जी किसानों ने अनुबंध किया है वह भी जाँच के दायरे में रहेगा। मिलर्स को भी धान उठाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही वेयर हाउसों में व्यवस्था बनाने पुलिस की तैनाती के निर्देश भी दिए जा रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।
अल्टीमेटम के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था-
किसान संघ ने पूर्व में जिला प्रशासन को अल्टीमेटम दिया था कि 48 घंटों में सुधार किया जाए लेकिन कई दिनों बाद भी जब सुधार नहीं हुआ तो शुक्रवार को पाटन व मझौली के किसानों ने तहसील मुख्यालय में धरना प्रदर्शन शुरू किया। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष मोहन तिवारी ने बताया कि धान खरीदी की व्यवस्था बनाने के लिए भारतीय किसान संघ ने 15 सूत्रीय माँगों के सुझाव जिला प्रशासन को दिए थे। जिन पर कार्रवाई करने में जिला प्रशासन नाकाम रहा है। श्री तिवारी ने कहा कि मौसम खराब है और किसानों की धान खुले में पड़ी है। धान खरीदी की गति बहुत धीमी चल रही है और धान का परिवहन व भंडारण भी नहीं हो रहा है, जिसके कारण जिले का धान उत्पादक किसान परेशान है।