जबलपुर: रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया सिन्हा का आगमन आज

  • गढ़ा स्टेशन को पमरे के अधीन करने के प्रस्ताव को मिले ग्रीन सिग्नल
  • मुद्दे उठें तो पूरी हो सकती है शहर की आस
  • दक्षिण भारत के लिए चले नई ट्रेन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-09 08:16 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पश्चिम मध्य रेल के अंतर्गत जबलपुर से जुड़ी कई ऐसी समस्याएँ और मुद्दे हैं जो वर्षों से अनसुलझे हैं, ये मुद्दे सीधे जनता और शहर के विकास से जुड़े हैं। मंगलवार को रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा का शहर आगमन हो रहा है। यह देखते हुए लोगों की जुबाँ पर फिर वही पुराने मुद्दे आ गए हैं, इनमें शहर के बीचों-बीच आ चुके कछपुरा मालगोदाम को शहर से बाहर बायपास में शिफ्ट किया जाना, दक्षिण भारत को जोड़ने वाली गोंदिया ब्राॅडगेज पर नई ट्रेन का संचालन, जबलपुर से सीधे दमोह और सागर को कनेक्ट करने के लिए चार दशक पहले से प्रस्तावित रेल लाइन को बिछाने का कार्य, मुंबई के लिए जबलपुर से नियमित ट्रेन और गढ़ा व गाैरीघाट स्टेशन को पमरे के जबलपुर मंडल के अधीन करने जैसे कई मामले शामिल हैं। ये मुद्दे न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि शहर के विकास और कनेक्टिविटी से भी जुड़े हैं। माना जा रहा है कि चेयरमैन के समक्ष इन सब विषयों पर चर्चा की जाए और ठोस पहल हो तो शहर को अनेक उपलब्धियाँ मिल सकती हैं।

रेलवे बोर्ड के पास प्रस्ताव लंबित, स्वीकृति का इंतजार

पमरे के जबलपुर मंडल की सीमा पर संचालित हो रहे एसईसीआर के दो स्टेशन गढ़ा और गौरीघाट को पमरे के अधीन करने काफी पहले रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा जा चुका है। बोर्ड की चेयरमैन के साथ पमरे के अधिकारियों की बैठक में अगर अधिकारी इस प्रस्ताव पर चर्चा करें तो इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है और पमरे के अधीन ये दोनों स्टेशन आ सकते हैं। यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए इन स्टेशनों का उपयोग भी हो सकता है।

जबलपुर से रायपुर के लिए सीधी ट्रेन भी जरूरी

ब्राॅडगेज ट्रैक पर जबलपुर से रायपुर के लिए भी सीधी ट्रेन जरूरी है। इस रूट पर वंदे भारत ट्रेन काे चलाया जा सकता है। पूर्व में इस आशय की घोषणा भी की गई थी कि ब्राॅडगेज बनने के बाद दक्षिण भारत और छत्तीसगढ़ के लिए ट्रेनों का संचालन आसान हाे सकेगा। मगर पमरे और एसईसीआर के अधिकारियों की उदासीनता के चलते यह संभव नहीं हाे सका।

दक्षिण भारत को जोड़ने वाले ट्रैक पर ट्रेन जरूरी

जिस ट्रैक को बिछाने में दो दशक का वक्त लगा और 1750 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। उस ट्रैक पर इतनी भी ट्रेनें नहीं चल रही हैं कि रेलवे अपना राजस्व पूरा कर सके। अब वक्त है कि दक्षिण भारत को जोड़ने वाले गोंदिया ब्राॅडगेज ट्रैक पर नई ट्रेनें दौड़ाई जाएँ। इससे जबलपुर से चेन्नई का सफर करने में 230 किमी की दूरी कम होगी और करीब 5 घंटे पहले सफर पूरा हो सकेगा।


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