जबलपुर: जबलपुर-मण्डला सड़क में 900 पैनल हुए क्रैक जिन्होंने ऐसी अनोखी सड़क बनाई उन्हें पेमेंट भी पूरा
- जो सुधार हो रहा है उसमें जनता को जल्द राहत मिलना मुश्किल
- फिर एक बार क्वाॅलिटी पर सवाल, अब 54 करोड़ खर्च किये जा रहे 63 किलोमीटर के हिस्से के लिए
- ठेका कंपनी के ठेकेदारों को इसका पेमेंट भी लगभग पूरा कर दिया गया है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर-मण्डला सड़क कहलाती तो हाईवे है लेकिन इसकी हालत किसी गाँव की पगडंडी नुमा सड़क से कम नहीं है। इसमें वाहन हिचकोले खाते आगे बढ़ता है। सामान्य फैमिली कार हो या फिर लग्जरी एसयूवी या फिर डंपर, हाइवा किसी भी स्तर का वाहन इसमें बिना जर्क खाये बिना नहीं चल सकता है।
यह हाईवे मार्ग अपनी घटिया क्वाॅलिटी, बनाने के दौरान इसमें हुये चरम स्तर के भ्रष्टाचार और अधिकारियों की अनदेखी का जीता जागता नमूना है। इसको केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने खुद घटिया क्वॉलिटी और हाईवे के नाॅर्म्स के विपरीत माना है।
विशेष बात यह है कि बरेला डोबी गाँव से कटरा मण्डला की सीमा तक 63 किलाेमीटर के जिस हिस्से को 250 करोड़ से 4 साल पहले बनाया गया उस ठेका कंपनी के ठेकेदारों को इसका पेमेंट भी लगभग पूरा कर दिया गया है।
घटिया क्वाॅलिटी के चलते दर्जनों शिकायतों और मरम्मत की माँग के बाद अब इसमें सुधार की कवायद आरंभ हुई, लेकिन इसकी क्वाॅलिटी पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के इंजीनियरों ने पिछले दिनों इसका निरीक्षण किया जिसमें माना है कि इसमें 900 सीमेण्टेड पैनल क्रैक हैं, यानी सड़क इतनी जगह तो पूरी तरह से बर्बाद जैसी ही है।
लापरवाही छिपाने के लिए 31 किलोमीटर में होगा डामरीकरण
कुल 63 किलोमीटर की सड़क में 31 किलाेमीटर का हिस्सा तो सुधार के लायक भी नहीं है। इसमें 32 किलोमीटर में सीमेण्टेड हिस्से में खराबी सुधारी जा रही है तो हद दर्जे में बरती गई लापरवाही को छिपाने 31 किलोमीटर डामरीकृत किया जाएगा।
एक्सपर्ट का कहना है कि सड़क को बड़े हिस्से में किसी तरह के सुधार के लायक नहीं समझा गया, इसमें सीधे तौर पर सीमेण्टेड हिस्से को डामरीकरण करने की सलाह दी गई। इसमें 54 करोड़ की लागत से रिपेयरिंग वर्क आरंभ हुआ है जिसमें अभी तक जानकारी के अनुसार 450 पैनल क्रैक पर वर्क हो सका है जिसको जल्द स्मूथ किया जाएगा।
डेढ़ माह में दुरुस्त बनाया जाएगा
अप्रैल के अंत तक सड़क को पूरी तरह से बेहतर बना दिया जाएगा। इसमें राइडिंग क्वाॅलिटी सुधारी जा रही है, साथ ही पैनल क्रैक ठीक किये जा रहे हैं, इसके साथ ही इसमें जो चलने के दौरान जर्क या झटके वाहनों को लगते थे वह अब नहीं लगेंगे। सड़क का हिस्सा डामरीकृत भी किया जाएगा।
-राजेन्द्र चंदेल, डीएम एमपीआरडीसी
दोषी अधिकारियों पर मामला दर्ज हो
ढाई सौ करोड़ खर्च होने के बाद भी घटिया, गुणवत्ताहीन और चलने के लायक न रहने वाले हाईवे को लेकर लोगों का कहना है जिन एमपीआरडीसी के अधिकारियों की माॅनिटरिंग में यह सड़क बनी है उन सभी पर जाँच के बाद आपराधिक मुकदमा तक दर्ज होना चाहिए।
जब अधिकारी लगातार निरीक्षण करते रहे तो मुख्य ठेका कंपनी ने कैसे पेटी ठेकेदारों को काम बाँटकर सड़क का सत्यानाश करा दिया है। यह जनता के पैसों की बर्बादी है और यह किसी क्राइम से कम नहीं है।
जो जिम्मेदार हैं वे विभागों में आज भी आराम से सड़कों का काम देख रहे हैं, ऐसे अधिकारियों पर किसी तरह के आरोप तक तय नहीं हुये, क्योंकि इसकी जाँच ही नहीं हुई है।