खेती-किसानी: नुकसान से उबरने किसान दे रहे मक्का की खेती को प्राथमिकता
जिले में इस वर्ष 2 हजार 195 हेक्टेयर क्षेत्र में होगी मक्का की खेती
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। समूचे विदर्भ में गड़चिरोली जिले की पहचान नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में है। इसी पहचान के साथ गड़चिरोली को धान उत्पादक जिले के रूप में पहचाना जाता है, मात्र यहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं होने से हर वर्ष हो रहे नुकसान से उबरने के लिए कुछ किसान अब मक्का फसल को प्राथमिकता दे रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार वर्ष 2023-24 के रबी सत्र के दौरान जिले में कुल 2 हजार 195 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का फसल का नियोजन किया गया है। हालांकि, मक्का उत्पादकों के लिए राज्य सरकार ने अब तक सरकारी खरीदी केंद्र शुरू नहीं किए हैं, मात्र यह किसान निजी व्यापारियों को अपनी उपज बेचकर नुकसान से उबरने का प्रयास कर रहे हंै। जिले के बंगाली बहुल इलाकों में मक्का की खेती अधिकांश स्थानों पर देखी जा सकती है। जिसमें प्रमुख रूप से धानोरा तहसील समेत मूलचेरा, भामरागढ़, चामोर्शी व एटापल्ली तहसील का नाम लिया जा सकता हैं। उल्लेखनीय हैं कि, बारिश के पूरे चार महीनों तक स्थानीय किसान अपने खेतों में धान की फसल उत्पादित करते है। यह फसल कटते ही किसान अपने खेतों में पुन: हल चलाकर मक्का फसल की तैयारियों की जुट जाते है।
सर्वाधिक धानोरा तहसील में होगी बुआई : कृषि विभाग के अनुसार, समूचे जिले में इस वर्ष 2 हजार 195 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की फसल बोयी जाएगी। इसमें सर्वाधिक धानोरा तहसील में 533 हेक्टेयर क्षेत्र, गड़चिरोली तहसील में 165 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ कुरखेड़ा में 243, आरमोरी में 159, चामोर्शी 299, सिरोंचा 184, अहेरी 16, एटापल्ली 139, मुलचेरा 365, कोरची 10, देसाईगंज 66 और भामरागढ़ तहसील में 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मका की फसल लगाई जाएगी। धान की फसल को शुरुआती दौर से ही सिंचाई की आवश्यकता होती है। लेकिन मका की फसल को मात्र 5 बार सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है। नाममात्र 2 बार ही इस फसल पर खाद का छिड़काव करना पड़ता है। इस फसल पर विभिन्न प्रकार के कीटों का प्रादुर्भाव भी नहीं होने से कम लागत में किसान इस फसल से अच्छा उत्पादन ले पाते ंहै।