किसान परेशान: धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से फिर संकट में किसान

कौड़ी के दामों में बेचने की नौबत

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-15 10:44 GMT

डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा (गड़चिरोली) ।किसानों के लिए खरीफ सत्र पूरी तरह नुकसानदेह साबित हुआ है। पहले अतिवृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हुईं जिसके बाद जंगली हाथियों ने किसानों की फसलों को रौंद दिया। जैसे-तैसे किसानों ने धान कटाई का कार्य पूर्ण किया। लेकिन अब आदिवासी विकास महामंडल और मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं किये जाने से किसानों को कौड़ीमोल दामों में अपनी मेहनत का धान निजी व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है। वर्तमान में किसानों के हाथ में धान आ गया है। वित्तीय संकटों का सामना कर रहे किसान अब गुजर-बसर करने के लिए 14 से 15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से निजी व्यापारियों को धान बेच रहे हैं। इसमें भी उन्हें वित्तीय नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके अब तक सरकारी धान खरीदी केंद्र आरंभ नहीं किये जाने से किसानों में नाराजगी व्यक्त की जा रही है।

बता दें कि, कुरखेड़ा तहसील धान उत्पादक के रूप में परिचित है। लेकिन इस वर्ष खरीफ सत्र के दौरान किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। पहले अतिवृष्टि ने किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया जिसके बाद जंगली हाथियों के झुंड ने खेत में लहलहा रही फसलों को तहस-नहस कर दिया। हाथियों ने नष्ट की फसलों का सर्वेक्षण वनविभाग ने कर रखा है। लेकिन अब तक संबंधित नुकसानग्रस्त किसानों को वित्तीय मदद नहीं मिल पायी है। अनेक प्रकार की मशक्कत कर किसानों ने अपने खेतों की फसलों को पूरी तरह काट लिया है। किसानों के हाथ में उनकी मेहनत आ गयी है। लेकिन अब तक सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो पाये हैं। दीपोत्सव खत्म होने के बाद भी अब तक खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से अब किसानों को निजी व्यापारियों को धान की बिक्री करनी पड़ रही है। निजी व्यापारी किसानों से 14 से 15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से धान खरीद रहे हैं जिसमें किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकारी केंद्रों में यहीं धान प्रति क्विंटल 2 हजार रुपए तक खरीदा जाता है। सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू कर किसानों को नुकसान से बचाने की मांग की जा रही है।

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