वन्यजीव: सेहत का सवाल , कमलापुर कैम्प के हाथी बारह दिन की मेडिकल लीव पर, करेंगे आराम
- ठंड से बचाने के लिए हाथियों के पैरों पर शुरू हुई चोपिंग की प्रक्रिया
- पर्यटकों के लिए बंद रहेगा कैम्प
- शीतकाल के दौरान फट जाते हैंं हाथियों के पैर
दीपक सुनतकर, अहेरी (गड़चिरोली) । राज्य के एकमात्र गड़चिरोली वनवृत्त के सिरोंचा वनविभाग अंतर्गत आने वाले कमलापुर गांव में सरकारी हाथी कैम्प मौजूद होकर यहां करीब 8 हाथियों की देखभाल वनविभाग द्वारा की जा रही है। कमलापुर में प्रकृति की अनोखी छटा के साथ विशाल तालाब और हाथी मौजूद होने के कारण यह स्थल पर्यटकों काे आकर्षित करने लगा है। खासकर शीतकाल के दौरान यहां पर्यटक खींचे चले आते हंै। लेकिन आगामी 12 दिनों तक अब कमलापुर का हाथी कैम्प बंद रखने के आदेश वनविभाग द्वारा जारी किये गये है।
शीतकाल के दौरान हाथियों के पैर फटने की संभावना को देखते हुए कैम्प के सभी 8 हाथियों को अब वैद्यकीय छुट्टी दे दी गयी है। बारह दिनों की कालावधि में हाथियों के पैर पर विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों का लेप लगाकर चोपिंग की प्रक्रिया शुरू की गयी है। हर दिन सुबह के दौरान कैम्प के महावत और चारा कटर की मदद से हाथियों के पैर को जड़ीबुड़ी के लेप से सेंका जाएगा। यहां बता दें कि, कमलापुर का हाथी कैम्प ब्रिटिशकाल से शुरू है। लेकिन अंगरेजी शासनकाल के दौरान इन हाथियों की मदद से जंगल के सागौन लट्ठे ढोने का कार्य किया जाता था।
जैसे ही भारत स्वतंत्र हुआ, यह हाथी कैम्प वनविभाग की ओर हस्तांतरित किया गया। तभी से इस कैम्प के हाथियों की देखभाल वनविभाग के जरिए की जा रही है। सिरोंचा वनविभाग के तहत आने वाले कमलापुर के हाथी कैम्प में वर्तमान में 8 हाथी होकर इनमें अजीत, मंगला, बसंती, रूपा, रानी, प्रियंका, गणेश और लक्ष्मी नामक हाथी का समावेश है। हर वर्ष शीतकाल के दौरान हाथियों के पैर फटने, पैर में सूजन आने की समस्या बनी रहती है। जिसके कारण कई बार हाथी बीमार भी पड़ने लगते हैं। इस समस्या से हाथियों को निजात दिलाने के लिए ही लगातार 12 दिनों तक हाथियों के पैर में चोपिंग की प्रक्रिया की जा रही है।
हिरड़ा, बेहेड़ा, सौंठ, त्रिफला, जायफल, आसमंतारा समेत अन्य प्रकार के आयुर्वेदिक वनौषधियों का लेप तैयार किया जाता है। जिसके बाद कैम्प के महावत और चारा कटर की मदद से इस लेप का सेंक हाथियों के पैर पर किया जाता है। उल्लेखनीय यह हैं कि, हाथियों की चोपिंग की प्रक्रिया हर वर्ष शुरू की जाती है। इस वर्ष शुक्रवार, 2 फरवरी से यह उपचार पध्दति शुरू की गयी है। आने वाले 12 दिनों तक इस प्रक्रिया के लिए सभी हाथियों को वैद्यकीय छुट्टी मिलने से अब यह हाथी कैम्प पर्यटकों के लिए भी बंद कर दिया गया है। 12 दिनों तक सभी प्रकार की वैद्यकीय जांच करने के बाद पर्यटकों के लिए यह कैम्प एक बार फिर शुरू किया जाएगा।