शराब बिक्री का विरोध: अब गांव-गांव में उठने लगी शराब कारखाने रद्द करने की मांग

पाथरगोटा के नागरिकों ने दी आंदोलन की चेतावनी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-20 06:13 GMT

डिजिटल डेस्क, आरमोरी (गड़चिरोली)। आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में वर्ष 1993 में शराब बंदी का कानून लागू होने के बाद भी हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल के एक मंत्री के हाथों जिला मुख्यालय के एमआईडीसी परिसर में शराब कारखाने के निर्माणकार्य का भूमिपूजन किया गया। संबंधित कारखाना मालिकों द्वारा अब नागपुर के चक्कर लगाते हुए मंत्रियों के साथ बैठक में उपस्थित रहकर कारखाने को प्रशासकीय मंजूरी दिलाने का प्रयास शुरू है। शराब के इस प्रस्तावित कारखाने के खिलाफ महाराष्ट्र भूषण डा. अभय बंग द्वारा आवाज उठाने के बाद अब गांव-गांव में भी विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं। सोमवार की रात तहसील के पाथरगोटा गांव में नागरिकों ने विशेष ग्रामसभा का आयोजन करते हुए गांव में शराब बंदी का फैसला लेते हुए गड़चिरोली के प्रस्तावित शराब कारखाने का विरोध जताया है। साथ ही इस कारखाने को मान्यता देने पर तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। 

पाथरगोटा ग्रामसभा ने शराब कारखाना विरोधी एक प्रस्ताव भी इस समय पारित किया। वर्तमान में डा. बंग की अगुवाई में शुरू किए गए मुक्तिपथ अभियान के माध्यम से गांव-गांव में नशामुक्ति उपक्रम चलाया जा रहा है। इस उपक्रम के चलते जिले के सैकड़ों गांवों के लोगों ने विभिन्न प्रकार के नशे से तौबा कर लिया है। ऐसी स्थिति में अब सरकार द्वारा जिला मुख्यालय में शराब कारखाने को मंजूरी देने का प्रयास किया जा है। हाल ही में इस कारखाने के निर्माणकार्य का भूमिपूजन कार्यक्रम गड़चिरोली में संपन्न हुआ। राज्य सरकार एक मंत्री के हाथों ही इस कारखाने का भूमिपूजन किया गया। यदि गड़चिरोली में शराब बनाई गयी तो एक बार फिर जिले में धड़ल्ले से शराब बिकेगी। इस कारखाने को मान्यता प्रदान की गयी तो जिलेभर में आंदोलन करने की चेतावनी भी इस समय पाथरगोटा के पदाधिकारियों ने दी है। ग्रामसभा में गांव संगठन अध्यक्ष अमरदीप बनकर, उपाध्यक्ष बबन दर्वे, भास्कर मातेरे, जगन पत्रे, सचिव देवेंद्र बगमारे, विलास खरकाटे, सुनील करांकर, कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम मैंद, मुरलीधर कुथे, दीपक बुल्ले, सदस्य प्रभात दोनाडकर, अशोक मिसार, विनाेद मेश्राम, दीपक बुल्ले, मंगेश पिदनारे, प्रफुल्ल दोनाडकर, हिवराज बुल्ले, अर्चना राऊत आदि उपस्थित थे।

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