खुशी: गडचिरोली में ग्रामीणों के विराेध के बाद आखिरकार टल गया मंगला का स्थानांतरण
- कमलापुर के हाथी कैम्प से बैरंग लौटे वनविभाग के वाहन
- कमलापुर के नागरिकों ने ली आक्रामक भूमिका
- हाथी कैम्प के कारण यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने लगा
डिजिटल डेस्क, अहेरी (गड़चिरोली)। राज्य के एकमात्र अहेरी तहसील के कमलापुर हाथी कैम्प के हाथियों के स्थलांतरण का विषय एक बार फिर गरमाने लगा है। बुधवार, 7 फरवरी की सुबह से ही कैम्प की ‘मंगला’ नामक हथिनी के स्थलांतरण की जानकारी मिलते की कमलापुर के नागरिकों ने आक्रामक भूमिका अपना ली। जिसके कारण हथिनी को ले जाने के लिए बुलाए गये वाहनों को कमलापुर से बैरंग ही लौटना पड़ा। इस बीच हथिनी के स्थलांतरण को रोंकने लिए राज्य के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा वनविभाग से संपर्क करने की जानकारी मिली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्रिटिशकाल के दौरान कमलापुर क्षेत्र में मौजूद हाथियों से सागौन लट्ठों को ढोने का कार्य किया जाता था।
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद कैम्प के सभी हाथी वनविभाग को हस्तांतरित किये गये। तभी से इन हाथियों की मदद से किसी भी प्रकार का कार्य नहीं कराया जाता। वनविभाग द्वारा पर्यटन की दृष्टि से कमलापुर में हाथियों का कैम्प बनाया गया। आज यहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचकर हाथियों का दीदार कर रहे हैं। इस बीच पिछले 2 वर्षों से इस कैम्प के हाथियों को अन्यत्र स्थलांतरण करने का प्रयास किया जा रहा था। वर्तमान में कमलापुर के हाथी कैम्प में 8 हाथी होकर इनमें से मंगला नामक हथिनी को पेंच अभयारण्य में स्थलांतरित करने का प्रयास शुरू किया गया था। इस बीच बुधवार को मंगला को ले जाने के लिए वनविभाग द्वारा कैम्प में वाहन बुलाए गये। जैसे ही इस घटना की जानकारी ग्रामीणों को मिली लोगों ने मंगला के स्थलांतरण का विरोध दर्शाना शुरू कर दिया।
कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने इसकी सूचना राज्य के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार काे भी दी। जानकारी के मिलते ही मंत्री मुनगंटीवार ने हथिनी के स्थलांतरण को तत्काल रोंकने के आदेश जारी किये। जिसके कारण कैम्प में बुलाए गये वाहनों को बैरंग ही लौट जाना पड़ा। यहां बता दें कि, इसके पूर्व नक्सलियों के पैत्रूक गांव के रूप में कमलापुर पहचाना जाता था। लेकिन अब हाथी कैम्प के कारण यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने लगा है। हाथियों के स्थलांतरण का विरोध स्थानीय नागरिकों द्वारा निरंतर रूप से किया जा रहा है। बुधवार को भी लोगों का विरोध स्पष्ट रूप से कैम्प परिसर में दिखायी दिया।