फसल बर्बाद: घने वनों से निकले जंगली हाथियों के झुंड ने फिर धान की फसलों को किया बर्बाद

  • कृषि पंप की पाइप-लाइन को भी कर दिया तहस-नहस
  • रबी सीजन की फसल हाथ आने के पहले ही पानी में गई
  • वनविभाग की टीम ने पहुंचकर किया पंचनामा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-18 12:30 GMT

डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा (गड़चिरोली)। पिछले 15 दिनों से वनों में मृत हथिनी का शोक मना रहे जंगली हाथियों के झुंड ने अबफिर से खेतो परिसर में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। मंगलवार की रात हाथियों के झुंड ने देसाईगंज वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले विहिरगांव से सटे खेतों में प्रवेश करते हुए रबी सीजन की धान फसल को पूरी तरह बर्बाद करके रख दिया। साथ ही हाथियों ने कृषि पंप की पाइप-लाइन को भी तहस-नहस कर दिया जिससे जलापूर्ति प्रभावित हई। कुछ दिनों के बाद हाथियों का झुंड एक बार फिर खेतों में पहुंचने से किसानों व आम नागरिकों में भयपूर्ण माहौल निर्माण होने लगा है। नुकसान की जानकारी मिलते ही  वनविभाग की टीम ने संबंधित किसानों के खेतों में पहुंचकर नुकसान का पंचनामा किया।

बता दें कि, वर्तमान में रबी सत्र शुरू होकर विहिरगांव के किसानों ने अपने खेतों में धान की बुआई कर रखी है। कृषि पंप के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था करने से धान के पौधे अब उगने लगे हैं। इसी बीच मंगलवार की रात जंगली हाथियों के झुंड ने कक्ष क्रमांक 82 में स्थित विहिरगांव निवासी दशरथ धोंडणे, भीमराव लिंगायत, सिद्धार्थ सहारे, मधुकर निहारे, ईश्वर मेश्राम के खेतों में प्रवेश  किया और धान की फसल को पूरी तरह रौंद दिया जिससे किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी। साथ ही किसानों ने खेतों में लगाए गए कृषि पंप की पाइप-लाइन को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। इस कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

गत 31 दिसंबर को इसी झुंड के एक हथिनी की आरमोरी तहसील के रामाला स्थित खेत परिसर में बिजली का करंट लगने से मृत्यु हो गयी थी। इस घटना के बाद से हाथियों का झुंड वनों में रहकर करीब 15 दिनों से शोक मना रहा था। इस कालावधि में हाथियों ने किसी भी स्थान पर नुकसान की घटना को अंजाम नहीं दिया। लेकिन मंगलवार की रात हाथियों के झुंड ने एक बार फिर खेतों में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। नुकसानग्रस्त किसानों ने सरकार से तत्काल वित्तीय मदद की गुहार लगायी है। पिछले कई महीनों से हाथियों का झुंड यहां से वहां विचरण करते हुए किसानों के खेतों में पहुंच जाता है और खड़ी फसलों को तहस-नहस कर देता है।

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