विरोध: झेंडेपार खदान के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
- कोरची में 15 ग्रामसभाओं के प्रतिनिधियों ने लिया निर्णय
- 10 को होनेवाली जनसुनवाई को ठहराया असंवैधानिक
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। राज्य सरकार ने कोरची तहसील के झेंडेपार क्षेत्र में 5 स्थानों की 46.36 हेक्टेयर जमीन पर लोह उत्खनन प्रकल्प आरंभ करने का फैसला लिया है। इस प्रकल्प के लिए आगामी 10 अक्टूबर को गड़चिरोली के जिलाधिकारी कार्यालय में प्रदूषण विषय पर जनसुवाई रखी गयी है। इस जनसुनवाई और झेंडेपार खदान के खिलाफ अब क्षेत्र की ग्रामसभाओं ने विरोध दर्शाना शुरू कर दिया है। बुधवार, 4 अक्टूबर को कोरची के गोटूल भवन में ग्रामसभा प्रतिनिधियों ने विशेष सभा का आयोजन किया। आगामी 6 अक्टूबर को मसेली गांव में विशेष सभा का आयोजन कर इस खदान के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की रणनीति तैयार की जाएगी। इस सभा में 40 ग्रामसभाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। उक्ताशय की जानकारी सर्वदलीय लोह खदान विरोधी कृति समिति के अध्यक्ष क्रांति केरामी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है। बता दें कि, बुधवार को गड़चिरोली-चिमूर संसदीय क्षेत्र के सांसद अशोक नेते कोरची पहुंचने वाले थे।
इसी कारण 15 ग्रामसभाओं के प्रतिनिधियों ने झेंडेपार खदान के खिलाफ एक ज्ञापन तैयार कर उन्हें सौंपने का निर्णय लिया था। लेकिन सांसद नेते का संभावित दौरा रद्द किये जाने से सभा में आंदोलन के संदर्भ में रणनीति तैयार की गयी। भारतीय संसद ने वर्ष 2006 अनुसूचित जनजाति व अन्य पारंपरिक वन निवासी अधिनियम के तहत वन हक कानून पारित किया है। इस कानून के तहत ग्रामसभाओं को वनों के सर्वाधिक बहाल किए गए हैं। ऐसा होने के बाद भी सरकार ने झेंडेपार खदान को मंजूरी देते समय ग्रामसभाओं की अनुमति नहीं ली। यह खदान शुरू होने पर जंगल का विनाश होगा। साथ ही आदिवासियों को विस्थापित भी होना पड़ेगा। इसी कारण क्षेत्र की ग्रामसभाओं ने शुरुआत से ही इस खदान को विरोध दर्शाया है। इस विरोध के बावजूद जिला प्रशासन ने खदान के लिए प्रदूषण विषय की जनसुनवाई आगामी 10 अक्टूबर को आयोजित की है। इस जनसुनवाई का भी ग्रामसभाओं ने विरोध जताया है। आगामी 6 अक्टूबर को कोरची तहसील के मसेली गांव में 40 ग्रामसभाओं के प्रतिनिधि इकट्ठा होकर खदान के विरोध में रणनीति तैयार करेंगे। इस बैठक में नागरिकों समेत ग्रामसभा प्रतिनिधियों से बड़ी संख्या में हिस्सा लेने का आह्वान भी क्रांति केरामी ने किया है।