Gadchiroli News: नक्सलियों के गढ़ में किसी चुनौती से कम नहीं हैं चुनाव, यहां होता है रिकाॅर्ड मतदान

  • लोकतंत्र की मजबूती के लिए जान जोखिम में डालकर कर्मचारियों को करना पड़ता है चुनावी कार्य
  • बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बावजूद यहां होता है रिकाॅर्ड मतदान
  • सेंट्रल की 110 कंपनी के जवान करेंगे सुरक्षा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-25 10:56 GMT

Gadchiroli News : रूपराज वाकोड़े | घने जंगल में बसे आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में वर्ष 1980 से नक्सलवाद हावी रहा है। नक्सली हिंसा के चलते ही आज भी जिले के सुदूर इलाकों में सड़क, पुल, पानी, बिजली, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंच नहीं पायी हैं। ऐसी विपरित स्थिति में लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करना, रिकार्ड ब्रेक मतदान दर्ज करवाना पोलिंग पार्टियों के कर्मचारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। गौरतलब है कि इस जिले में चुनाव कार्य के लिए विभाग को विशेष रूप से हेलीकॉप्टर उपलब्ध करावाया जाता है। लेकिन अधिकांश मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए हेलीपॅड न होने से आज भी कर्मचारियों को लंबी दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है। पाेलिंग पार्टी के कर्मचारियों को हाथ में चुनावी सामग्री लेकर नदी-नाले पार करते हुए पगडंडियों से मतदान केंद्रों तक पहुंचना पड़ता है। हालांकि, इन सभी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन भौगोलिक स्थिति और नक्सलियों की मौजूदगी के कारण अाज भी कर्मचारियों को अपनी जान जोखिम में डालकर चुनाव कार्य पूरा करना पड़ रहा है।

यहां बता दें कि, गड़चिरोली जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें अहेरी, आरमोरी और गड़चिरोली का समावेश है। इन तीनों विस क्षेत्र के लिए आगामी 20 नवंबर को मतदान की होगा। इस प्रक्रिया के लिए जिलेभर के तकरीबन 7 हजार कर्मचारियों को पोिलंग पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। चुनाव विभाग के अनुसार, जिले में इस बार कुल 972 मतदान केंद्रों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी होगी। जिसमें आरमोरी विस क्षेत्र में 310 मतदान केंद्र के साथ गड़चिरोली के 362 और अहेरी के 300 मतदान केंद्रों का समावेश है। इनमें से कुल 366 मतदान केंद्रों का समावेश संवेदनशील क्षेत्र में किया गया है। जिसमें 15 केंद्र क्रिटिकल घोषित किये गये हैं। इनमें अहेरी के 13 और गड़चिरोली तथा आरमोरी के 1-1 केंद्र का समावेश है। इन मतदान केंद्रों पर मतदान से पहले ही पुलिस का कड़ा पहरा रहेगा। पुलिस विभाग के अनुसार विधानसभा चुनाव के लिए विभाग की ओर से जिलेभर में 750 कि.मी. का रोप अाेपनिंग किया जाएगा।

केंद्र तक पहुंचने के लिए कहीं हेलिकॉप्टर कहीं पैदल सफर

पोलिंग पार्टियों को बूथ तक पहुंचाने और उन्हें वापिस जिला मुख्यालय लाने के लिए विभाग ने सरकार से विशेष रूप से 5 हेलिकॉप्टर की मांग की है। वहीं 130 ड्रोन कैमरों की मदद से हर छोटी से छोटी गतिविधि पर पुलिस के जवान अपनी निगाह रखेंगे। इस बीच साधारण क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर पाेलिंग पार्टी के कर्मचारियों को वाहनों से पहुंचाया जाएगा। लेकिन अतिदुर्गम और सुदूर क्षेत्र के केंद्रों पर हेलिकॉप्टर की ही मदद से कर्मचारियों को पहुंचाना पड़ेगा। अधिकांश मतदान केंद्र हेलीपॅड से लंबी दूरी पर हैं। ऐसे स्थानों पर पहुंचने के लिए कर्मचारियों को पैदल ही सफर करना पड़ेगा। गत लोकसभा चुनाव के दौरान भी सुदूर इलाकों में पोलिंग पार्टी के कर्मचारियों ने पैदल ही सफर कर मतदान की प्रक्रिया पूर्ण करवायी थी। हालांकि इस कार्य में उन्हें विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने कर्मचारियों द्वारा किए गए इस कार्य की सभी स्तर पर सराहना भी हुई थी। कुल मिलाकर नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में किसी भी प्रकार का चुनाव संपन्न करवाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इस बार भी विधानसभा चुनाव को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने के लिए भी जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को एड़ी-चोटी का जाेर लगाना पड़ रहा है।

सेंट्रल की 110 कंपनी के जवान करेंगे सुरक्षा

गड़चिरोली जिले के तीनों विस क्षेत्र में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न करवाने के लिए जिला पुलिस विभाग एक्शन मोड पर है। इस दफा सुरक्षा के लिए सेंट्रल की 110 कंपनियों के जवान चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालेंगे। इनमें सीआरपीएफ, एसआरपीएफ, जिला पुलिस बल और सी-60 के तकरीबन 17 हजार जवानों का समावेश है जो कि मुस्तैदी से लोगों की सुरक्षा में तैनात रहेंगे।



 

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