उन्नति: गड़चिरोली में संचार क्रांति, अब नक्सल प्रभावित इलाकों में भी बजेगी फोन की घंटी
- युद्धस्तर पर चल रहा 650 मोबाइल टॉवर का निर्माणकार्य
- आदिवासी ग्रामीण मोबाइल पर बात कर सकेंगे
- विकास में पिछड़ा है क्षेत्र, नई क्रांति लाने जद्दोजहद
मोहनिश चिपिये , गड़चिरोली। देश के अतिपिछड़े और सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शुमार गड़चिरोली जिला अब संचार क्रांति की ओर बढ़ने लगा है। जिस स्थान पर फोन की घंटी कभी सुनाई नहीं दी, ऐसे स्थान पर अब जिले के आदिवासी ग्रामीण मोबाइल पर बात कर सकेंगे। इस कार्य के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल गड़चिरोली जिले में केंद्र व राज्य सरकार ने कुल 650 मोबाइल टॉवर के निर्माणकार्य को मंजूरी प्रदान की है। इनमें से अधिकांश टॉवर का निर्माणकार्य युद्धस्तर पर शुरू होकर छत्तीसगढ़ राज्य से सटे जिले के गांवों में भी अब मोबाइल दिखने लगेंगे। स्वयं जिलाधिकारी संजय मिना इस कार्य को लेकर काफी गंभीर होकर जगह-जगह दूरसंचार सेवा के लिए केबल पहुंचाने के साथ टॉवर का निर्माणकार्य शुरू किया गया है।
बता दें कि, प्रचुर मात्रा में मौजूद जंगल के भरोसे नक्सलियों ने जिले के सुदूर इलाकों में अपना आधार क्षेत्र बनाया। इसी जंगल के भराेसे नक्सलियों की गतिविधियां अपने चरम हुई। अधिकांश स्थानों पर नक्सलियों ने दूरसंचार टॉवर को ही अपना लक्ष्य बनाया। इसी कारण आज भी अनेक गांवों में दूरसंचार सेवा पहुंच नहीं पायी है। मात्र सरकार ने पुलिस विभाग और जिला प्रशासन की मदद से ग्रामीणाें तक विभिन्न योजनाएं पहुंचाने का कार्य किया। नागरिकों के द्वार तक योजना का लाभ प्रदान किया गया। इसी कारण वर्तमान में नक्सलियों की गतिविधियां काफी कम हो गयी है। पुलिस विभाग द्वारा आरंभ की गयी पुलिस दादालोरा खिकड़ी योजना आमजनों के लिए वरदान साबित होने लगी है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में जीवनयापन करने वाले नागरिक आज खुले रूप से नक्सलियों का विरोध करते पाए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि, अब सुदूर इलाकों में भी विकास की गंगा बहते दिखायी दे रही है। इस कड़ी में संचार क्रांति का सपना पूर्ण करने का लक्ष्य भी जिला प्रशासन ने रखा है। जिलेभर में लोगांे की सुविधा के लिए कुल 650 मोबाइल टॉवर के निर्माणकार्य मंजूर किए गए हैं। इनमें से अधिकांश स्थानों पर टॉवर का निर्माणकार्य भी शुरू कर दिया गया है। इस कार्य में पहले वनविभाग की शर्तें रोड़ा बनकर सामने आयी थी। लेकिन अब वनविभाग द्वारा भी एनओसी मिलने के कारण जंगल के रास्ते मोबाइल टॉवर के लिए केबल बिछाने खोदकार्य शुरू किया गया है। गड़चिरोली जिले का पूर्वी हिस्सा छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है। यही हिस्सा नक्सलियों का प्रवेश द्वार समझा जाता है। इस क्षेत्र में भी अब मोबाइल टॉवर का निर्माणकार्य शुरू किया गया है। जिले की धानोरा तहसील के पेंढरी परिसर से महज 10 किमी की दूरी पर छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा है। इस सीमा पर स्थित ग्राम ढोरगट्टा में मोबाइल टॉवर का निर्माणकार्य युद्धस्तर पर शुरू है। गड़चिरोली जिला प्रशासन के नियोजन विभाग के अनुसार, जिले में प्रस्तावित मोबाइल टॉवर का निर्माणकार्य युद्धस्तर पर शुरू होकर आने वाले कुछ ही दिनों में जिले का संचार क्रांति का सपना पूर्ण होगा।
पुलिस को मॉनिटरिंग में होगी आसानी : नक्सलग्रस्त क्षेत्रों में मोबाइल टाॅवर लगने से पुलिस को क्षेत्रों की मॉनिटरिंग करने में आसानी होगी। संचार तंत्र मजबूत रहने से क्षेत्र की हर गतिविधि को जाना जा सकेगा। खुफिया विभाग को भी सूचना एकत्र करने व अपन अधिनस्थ कर्मियों को दिशा-निर्देश देने में सहूलियत होगी। पुलिस विभाग ने सुदूर इलाकों में पुलिस चौकियों का निर्माणकार्य तो कर दिया है, लेकिन अब तक संपर्क के लिए केवल वायरलेस सुविधा का उपयोग किया जाता था। लेकिन अब गांव-गांव में मोबाइल टॉवर का निर्माणकार्य शुरू होने से भविष्य में पुलिस को मॉनिटरिंग में भी आसानी होगी।
एक टावर से 15 गांव होंगे कनेक्ट : एक मोबाइल टाॅवर से पांच किमी के आसपास के लगभग 15 गांव को मोबाइल सेवा का लाभ मिलेगा। इन मोबाइल टावरों को नक्सल प्रभावित थाना परिसर में ही लगाया जाएगा, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके। अक्सर संचार सेवा ठप करने के लिए नक्सली मोबाइल टावर को ही अपना निशाना बनाते हैं। इसलिए सरकार व विभाग ने पुलिस व सीआरपीएफ कैंप के आसपास ही मोबाइल टाॅवर लगाने का निर्णय लिया है।