मुलाकात: धनगरों को आरक्षण देना संभव नहीं : राष्ट्रपति
- राष्ट्रपति मुर्मु से मिला प्रतिनिधिमंडल
- आदिवासी संवर्ग के विधायकों के प्रतिनिधिमंडल को दिया जवाब
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी समाज को संविधान ने आरक्षण प्रदान किया है। इसमें बदलाव करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। इस कारण महाराष्ट्र राज्य में धनगर समाज का आदिवासी में समावेश कर आदिवासियों का आरक्षण धनगरों को मिलेगा। ऐसा कहना गलत है। आदिवासियों का आरक्षण संवैधानिक होकर आदिवासियों का आरक्षण कतई धनगरों को नहीं मिल सकता। इस आशय का जवाब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्य के 12 आदिवासी विधायकों के प्रतिनिधिमंडल को दिया है। राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाड, खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम, गड़चिरोली के विधायक डा. देवराव होली समेत कुल 12 आदिवासी विधायकों ने हाल ही में दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मुर्मु से मुलाकात की। इस समय क्षेत्र के विधायक डा. होली ने विभिन्न विषयों पर राष्ट्रपति से चर्चा की। गड़चिरोली जिले में प्रभावी रूप से पेसा कानून पर अमल करना, जिन गांवों में 50 फीसदी से अधिक आदिवासियों की जनसंख्या है। ऐसे गांवों को पेसा गांवों में समाविष्ट करना, जिन गांवों में 50 फीसदी से अधिक ओबीसी की जनसंख्या है ऐसे गांवों क नॉन पेसा में समाविष्ट करना, वनहक के प्रलंबित मामलों का तत्काल निपटारा करना आदि विषयों पर विधायक डा. होली ने चर्चा की। वर्तमान में पूरे राज्य में धनगर समाज का आदिवासियों में समावेश कर आदिवासियों का आरक्षण धनगर को देने की अफवाह फैलने लगी है। इस तरह की अफवाह से दोनों समाज में मतभेद भी निर्माण होने लगे हंै। इस समस्या का हल निकालने की मांग भी विधायक डा. होली ने भेंट के दौरान राष्ट्रपति मुुर्मु से की।