लापरवाही: आंगनवाड़ी केंद्र में मिले शिशु संजीवनी के कालबाह्य पैकेट्स

बाल विकास प्रकल्प कार्यालय की लापरवाही की खुली पोल

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-07 12:33 GMT

दीपक सुनतकर , अहेरी (गड़चिरोली) । कुपोषण के प्रमाण को कम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने विभिन्न प्रकार की योजनाएं शुरू की है। इन्हीं योजनाओं में से एक पोषाहार है।  योजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से 0 से 6 वर्ष आयुसीमा के बच्चों को शिशु संजीवनी नामक पाउडर का वितरण किया जाता है। इस पाउडर की मदद से बच्चों को स्वस्थ रखने का प्रयास बाल विकास प्रकल्प कार्यालय के माध्यम से किया जाता है। मात्र तहसील के महागांव आंगनवाड़ी केंद्र में उपलब्ध कराये गये शिशु संजीवनी के पैकेट्स कालबाह्य होने के कारण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित किया जा रहा है। कुपोषण काे कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया शिशु संजीवनी ही यदि कालबाह्य हैं तो कुपोषण को कैसे मिटाया जा सकेगा? ऐसा सवाल अब नागरिकों द्वारा पूछा जा रहा है। महागांव ग्राम पंचायत के उपसरपंच संजय अलोने की औचक भेंट के दौरान आंगनवाड़ी केंद्र में यह मामला उजागर हुआ है। जिसके चलते आंगनवाड़ी केंद्र समेत बाल विकास प्रकल्प कार्यालय में हड़कंप मच गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमरावती जिले के मेलघाट के बाद प्रदेश में सर्वाधिक कुपोषण का प्रमाण आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में पाया जाता है।

कुपोषण के प्रमाण को कम करने स्वास्थ्य विभाग के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी होकर बच्चों को पोषाहार देकर उन्हें स्वस्थ रखने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए बाल विकास प्रकल्प कार्यालय के माध्यम से क्षेत्र की आंगनवाड़ी केंद्रों में शिशु संजीवनी नामक पाउडर उपलब्ध कराया जाता है। इस पाउडर का घोल बनाकर इसे कुपोषित बच्चों को पिलाया जाता है। उल्लेखनीय यह हैं कि, पोषण से भरपूर इस पाउडर के चौंकाने वाले लाभ भी सामने आये है। अतितीव्र कुपोषित बालकों को नियमित रूप से इस पाउडर का घोल पिलाने पर बालक कुपोषण की तीव्र अथवा मध्यम की श्रेणी में पहुंच सकता है। इसी कारण विभाग ने भी इस पाउडर को अधिक महत्व देते हुए अधिकाधिक संख्या में इसे बालकों को वितरित करने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन गत 5 अक्टूबर को महागांव के उपसरपंच संजय अलोने ने औचक ही गांव की आंगनवाड़ी केंद्र को भेंट दी। इस समय केंद्र में शिशु संजीवनी के अनेक पैकेट रखे गये थे। इन पैकेट्स की जांच करने पर पैकेट्स की कालबाह्य होने की तिथि 30 जुलाई 2023 पाई गयी। वर्तमान में अक्टूबर माह शुरू होने के बाद भी जुलाई माह के पैकेट्स आंगनवाड़ी केंद्र में कैसे? ऐसा सवाल उपसरपंच अलोने ने उपस्थित किया है। इस मामले में अलोने ने बाल विकास प्रकल्प कार्यालय से शिकायत भी की है। साथ ही बालकों के स्वास्थ्य के साथ लापरवाही बरतने वाले संबंधित अधिकारियों समेत आंगनवाड़ी केंद्र के कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इस मामले ने एक बार फिर बाल विकास प्रकल्प कार्यालय की लापरवाही को उजागर करने से विभाग में खलबली मच गयी है।

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