जुगाड़: हाथियों को खदेड़ने अब "चिली स्मॉग' तकनीक का इस्तेमाल
असरदार साबित होने लगी ग्रामीणों की तरकीब
भीमराव ढवले , आरमोरी (गड़चिरोली)। तहसील के वैरागढ़ परिसर में दाखिल हुए उपद्रवी हाथियों के आतंक को रोकने के लिए अब ग्रामीणों ने एक नायाब तरीका खोज निकाला है। हाथियों को आबादी से जंगल की ओर खदेड़ने के लिए नागरिकों द्वारा चिली स्मॉग (मिर्च का धुआं) का उपयोग किया गया। नागरिकों की यह तरकीब पूरी तरह सफल साबित हुई जिसके कारण शनिवार को हाथियों के झुंड ने किसी भी खेत में प्रवेश नहीं किया। एक दिन के लिए नुकसान से बचने के कारण परिसर के किसानों ने राहत महसूस की है। इस तरकीब को हर दिन चलाने का फैसला अब परिसर के नागरिकों ने लिया है। शनिवार की रात नागरिकों द्वारा अपनाई गई इस तरकीब में वनविभाग के कर्मचारियों द्वारा भी हिस्सा लेने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हाथियों को खदेड़ने के लिए अब पटाखे फोड़े गए और मशाल जलाकर उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया गया। कुछ देर के लिए हाथियों का झुंड जंगल की ओर जाने के बाद वापस खेतों में लाैट आता था। इस कारण अब तक विभिन्न स्थानों पर जंगली हाथियों ने नुकसान की अनेक घटनाओं को अंजाम दिया। वर्तमान में जंगली हाथियों का झुंड आरमोरी तहसील के वैरागढ़ परिसर के चामोर्शी माल अौर चामोर्शी चक परिसर में है। पिछले चार दिनों से इसी परिसर को अपना ठिकाना बनाते हुए हाथियों ने 60 से अधिक किसानों के खेतों में पहुंचकर धान की फसल तहस-नहस कर दी है। लगातार हो रहे नुकसान से बचने के लिए हाथियों को तत्काल खदेड़ने की मांग भी नागरिकों ने निरंतर रूप से की है। इस मांग पर ध्यान देते हुए वनविभाग ने पश्चिम बंगाल से हुल्ला टीम को भी यहां बुला रखा है। लेकिन यह टीम भी हाथियों को खदेड़ने में अब तक सफल नहीं हो पाई है। इसी बीच शनिवार की रात चामोर्शी चक और चामोर्शी माल के नागरिकों ने हाथियों को खदेड़ने के लिए मिर्च के धुएं का उपयाेग किया। पूरी रात भी किसानों और नागरिकों ने अपने हाथ में मशाल जलाकर मिर्च का धुआं किया। इस धुएं के कारण जंगली हाथी खेत परिसर में नहीं पहुंचे जिसके चलते एक दिन के लिए किसानों का कोई नुकसान नहीं हुआ। इस कार्य में वनविभाग के साथ हुुल्ला टीम ने भी हाथ जुटाया। इस बीच लगातार हो रहे नुकसान से उबरने के लिए किसानों को तत्काल वित्तीय मदद देने की मांग अब परिसर के नागरिकों ने की है।