प्रेरणा: पारंपरिक खेती छोड़ इस युवा किसान ने डेढ़ एकड़ खेत से कमा लिए है लाखों रुपए
- पारंपरिक खेती से तौबा कर ली
- 5 हजार काली मिर्च के पौधे लगाए
- कपास और सोयाबीन की बाजार में उचित कीमत नहीं
डिजिटल डेस्क, बीड। पारंपरिक खेती छोड़ एक युवा किसान ने ऐसा तगड़ा दिमाग लगाया कि सालभर में अच्छी खास कमाई कर डाली और अब यह किसान दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनकर उभरा है। माजलगांव तहसील के एक छोटे से गांव टाकरन, जिसकी आबादी लगभग 8 हजार के करीब है, वहां रहने वाले किसान किशोर शेजुल पारंपरिक खेती से तौबा कर ली। शेजुल की उम्र 28 साल है, उसने सोचा क्यों ना कुछ अलग हटकर किया जाए। शेजुल ने खूब मेहनत की, जिसके फल स्वरूप बीड, सोलापुर और माजलगांव के बाजारों में उसकी मिर्च बिक रही है। अब तक वो मिर्च से ही तीन लाख रुपए से भी ज्यादा की आय कर चुका है। इसके अलावा खरबूजे और सहफसली खेती कर छह लाख रुपए से ज्यादा कमा चुका है। बुआई से लेकर कटाई तक किसान को 1 लाख रुपए की लागत लगती है। किसान ने मात्र डेढ़ एकड़ में खेती कर आर्थिक उन्नति हासिल की है।
तरबूज, काली और हरी मिर्च की फसल
देखा जाए तो किसान खेतों में पारंपरिक फसलें उगाते हैं, लेकिन प्रकृति की मार, उत्पादन में गिरावट के कारण कृषि उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। इस कारण किसानों के लिए खेती करना अब मुश्किल होता जा रहा है। किशोर शेजुल ने जनवरी की शुरुआत में तरबूज लगाया था। हाल ही में 5 हजार काली मिर्च के पौधे लगाए। गर्मियों के दौरान खरबूजा उगा अलग-अलग बाजारों में बेचा। फिल्हाल पिछले दो माह से उसके खेत में मिर्च कटाई का काम चल रहा है।
किसान ने बताया कि कपास और सोयाबीन की बाजार में उचित कीमत नहीं मिलने के कारण उसने कुछ अलग करने का फैसला किया। जिसके तहत गर्मियों में खरबूजे लगाने का निर्णय लिया। फिर मिर्च लगा दी। मिर्च की खेती में सिर्फ एक लाख की लागत लगी थी। कुछ ही महीनों में 6 लाख से ज्यादा की आमदनी हो चुकी है।
शेजुल ने मौसमी बदलावों को ध्यान में रखते हुए अपने खेत को तैयारी किया था। जिससे उन्हें प्राकृतिक खेती में सफलता मिली। अब वे आने वाले सालों में अपनी आय को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।