बारिश न होने से चिंता में घिरे किसान

बीड जिले के किसान बुआई के लिए बारिश की बाट जोह रहे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-19 12:09 GMT

डिजिटल डेस्क, बीड ।  महत्वपूर्ण मृग नक्षत्र समाप्त हो गया है।  बारिश की आस लगाए  बीड जिले के माजलगांव, बीड, गेवराई, अंबाजोगाई, आष्टी, केज, सिरसाला, शिरूर कासार, धारूर, वडवणी, परली, पाटोदा तहसील सहित कुसलम्ब, अठेगांव पुथा क्षेत्र के  किसान चिंता की स्थिति में है ।  खरीफ की बुआई के लिए उपयुक्त बारिश अब तक नहीं हुई है। किसान प्री-मानसून खेती गतिविधियों को पूरा कर खरीफ सीजन की बुवाई के लिए तैयार हैं।15 जून के बाद भी बारिश की कोई उम्मीद नहीं है।इस वजह से बुआई पर ब्रेक लग गया है और कुसलम्ब में बुआई के विलंब की तस्वीर देखी जा सकती है।  अब तक बुआई के लिए उपयुक्त बारिश नहीं हुई है और चूंकि मिट्टी नम नहीं है,इसलिए बुआई नहीं कर सकते। बुआई के लिए मिट्‌टी मजबूत होने  की जरूरत होती है  यदि मृग नक्षत्र में वर्षा नहीं होती है, तो किसानों की सभी योजनाएं धराशायी हो जाने और किसानों की जान चली जाने का भय रहता है। उनका जीना मुश्किल हो जाता है।

किसान परिवारों का जीवन इस क्षेत्र में कृषि और सहकारी चीनी मिलों से गन्ना कटाई पर निर्भर है। वर्षा के आधार पर कृषि आय प्राप्त होती है। प्रत्येक वर्ष किसान को कोई न कोई संकट का सामना करना पड़ता है। लेकिन प्रकृति की अनिश्चितता के कारण उन्हें बचाया जा रहा है। कुदरत की मार के कारण "बलिराजा" अब आर्थिक संकट में है और "पीड़ित" प्रतीत हो रहा है। पिछले साल कपास की ऊंची कीमत के कारण कई किसानों ने कपास के साथ अपने घरों को नहीं छोड़ा है। इसलिए, किसान इसके पक्ष में नहीं हैं। क्षेत्र में कपास का उत्पादन करें। किसान सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन करने के इच्छुक हैं। लेकिन, बारिश के 'तनाव' के कारण, किसानों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि अगली फसल कौन सी लें। पिछले सप्ताह शनिवार को कुछ जगहों पर मध्यम बारिश हुई  ।  फिर से बारिश होने की उम्मीद में कुछ किसानों ने जोखिम उठाया और महंगे हाईब्रिड बीजों के साथ कपास और सोयाबीन लगाने के लिए दौड़ पड़े, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है।

भविष्यवाणी से किसानों पर आर्थिक संकट

पंजाबराव ढाेक, जो किसानों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,उनकी भविष्यवाणी की विफलता के कारण किसान  आर्थिक संकट में आ गए हैं। जैसा कि पंजाबराव ढोक ने समय पर बारिश की भविष्यवाणी की थी, किसानों ने खाद बीज रखा, लेकिन बारिश नहीं हुई।  बारिश नहीं आई तो खाद व बीज का क्या करें?  किसानों के सिर पर खाद-बीज का आर्थिक बोझ फिर से बढ़ गया है।

आसमान साफ, बारिश के अभी आसार नहीं

बोवनी का समय समाप्त हो रहा है।  आधे से अधिक जून बीत चुका है, बारिश का नामोनिशान  नहीं है। किसानों की चिंता बढ़ रही है तो दूसरी तरफ उनके सिर पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। बारिश से प्रभावित दांडी किसानों के लिए बड़ा खतरा है। जून के महीने में बारिश नहीं हुई तो किसानों के लिए यह सवाल खड़ा हो गया है कि दोबारा बोए गए बीज और खाद का क्या उपयोग करें।

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