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आरटीआई कानून के तहत केंद्रीय सूचना आयोग के पास जांच के लिए कमेटी गठित करने का अधिकार नहीं- हाईकोर्ट
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत केंद्रीय सूचना आयोग के पास जांच के लिए कमेटी गठित करने का अधिकार नहीं है। जो उसकी ओर से मामले की जांच कर सके।
न्यायमूर्ति केके तांतेड़ व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश जन सूचना अधिकारी की ओर से दायर की गई याचिका को विचारार्थ मंजूर करते हुए दिया है। याचिका में मुख्य रूप से 28 अप्रैल 2017 को सूचना आयुक्त की ओर से जारी किए गए एक आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश के तहत आयोग के अंतर्गत कार्यरत सूचना आयुक्त ने आर्थिक मामले से संबंधित विभाग के संयुक्त सचिव को कमेटी गठित कर एक शिकायत की जांच कर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था।
सूचना आयुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जांच के आदेश दिए
याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के सामने स्पष्ट किया कि सूचना आयुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर जांच के संबंध में आदेश जारी किया है। उन्होंने आरटीआई की धारा 19 व अन्य प्रावधानों का हावाला देते हुए स्पष्ट किया कि सूचना अधिकार कानून के तहत केंद्रीय अथवा राज्य सूचना आयोग को ऐसी कमेटी गठित करने का अधिकरा नहीं है जो उसकी ओर से मामले की जांच कर सके। सिर्फ आयोग को लेकर आरटीआई कानून की धारा 27 के तहत नियम बनाए गए हैं जो अपील की प्रकिया, शुल्क व जुर्माने से संंबंधित है।
इन दलीलों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने इस मामले से संबंधित याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और साथ ही स्पष्ट किया कि केंद्रीय सूचना आयोग जांच के लिए कमेटी गठित करने का आदेश नहीं दे सकता है, क्योंकि आरटीआई कानून में इसका प्रावधान नहीं है।
Created On :   18 Jan 2020 11:25 PM IST