विलुप्त हो रही कालीन और दरी बनाने की जिले की गौरवशाली कला को जीवित रखने अब पचड़ी गांव के आदिवासी

Now the tribals of Pachdi village to keep alive the glorious art of making carpets and rugs in the district
विलुप्त हो रही कालीन और दरी बनाने की जिले की गौरवशाली कला को जीवित रखने अब पचड़ी गांव के आदिवासी
बैगा परिवारों ने संभाली कमान विलुप्त हो रही कालीन और दरी बनाने की जिले की गौरवशाली कला को जीवित रखने अब पचड़ी गांव के आदिवासी

डिजिटल डेस्क, शहडोल। दस साल के लंबे इंतजार के बाद दुनिया अब शहडोल में बनने वाली कालीन व दरी को फिर से देख सकेगी। छूकर महसूस कर सकेगी। इस बार ग्राम पचड़ी के आदिवासी परिवारों ने कमान संभाली है, यहां 20 ज्यादा परिवारों ने कालीन बनाने का फिर से शुरु करने का निर्णय लिया है। इन्हे संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास लिमिटेड से दो माह का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बतादें कि कभी शहडोल की कालीन प्रदेश की राजधानी भोपाल में विधानसभा की शोभा बढ़ाने के साथ ही देश के प्रमुख शहर चेन्नई, नोयडा व कोलकाता से लेकर विदेश में मलेशिया तक पसंद की जाती थी। शहडोल जिले के अलग-अलग गांव के आदिवासी परिवार कालीन व दरी बनाते थे और संग्रहण के लिए छतवई में केंद्र की स्थापना की है।

इस बीच बीते दस साल से आर्थिक मदद नहीं मिलने के कारण कच्चे माल की उपलब्धता कम होती गई, कालीन बाजार में पहुंचने के बाद समय पर भुगतान राशि नहीं मिलने से भी कच्चे माल की सप्लाई पर असर पड़ा। इसका सीधा नुकसान इस काम से जुड़े कलाकारों को हुआ। राशि के अभाव में कलाकारों के परिवार ने इस काम से दूरी बना ली। शहडोल की गौरवशाली कला की विलुप्तता के कगार में पहुंचने को लेकर 23 अगस्त को दैनिक भास्कर में प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर वंदना वैद्य ने प्रदेश शासन को प्रस्ताव भेजा और हाथकरघा विभाग से दो माह के प्रशिक्षण के लिए राशि जारी हुई। 

बैगा परिवारों ने कहा- कालीन देखने लोग फिर आएंगे शहडोल

पचड़ी गांव के सुफल बैगा, सुंदर लाल बैगा, प्रकाश बैगा, संजीव बैगा, माला बैगा, मालती बैगा व समरतिया बैगा ने बताया कि उन्होंने कालीन व दरी बनाने का काम शुरु कर दिया है। निश्चित तौर आने वाले समय में एक बार फिर लोग हमारा काम देखने शहडोल आएंगे। एक माह में बनती है एक कालीन, लगाने पड़ते हैं 36 हजार टप्पा कालीन बनाने वाले आदिवासी-बैगा परिवार के सदस्यों ने बताया कि कालीन बनाने का काम बहुत ही पेचीदा है। एक कालीन बनाने में एक माह से ज्यादा समय लगता है, इसमें 36 हजार से ज्यादा टप्पा लगता है।

Created On :   1 Nov 2022 5:57 PM IST

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