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लक्षद्वीप के कानूनी अधिकार क्षेत्र को बदलना चाहता है एडमिनिस्ट्रेशन, जानिए क्या है लीगल एक्सपर्ट्स की राय?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपनी कुछ नीतियों को लेकर विरोध का सामना कर रहे लक्षद्वीप एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र को केरल हाईकोर्ट से कर्नाटक हाईकोर्ट में शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा है। दरअसल, लक्षद्वीप के नए प्रशासक प्रफुल पटेल के नए ड्राफ्ट और कुछ अन्य फैसलों के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में कई मुकदमे चल रहे हैं। इसी के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने कानूनी अधिकार क्षेत्र को शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा है। दमन और दीव के प्रशासक पटेल को पिछले साल दिसंबर के पहले सप्ताह में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, जब पूर्व प्रशासक दिनेश्वर शर्मा का बीमारी के बाद निधन हो गया था।
इस साल, लक्षद्वीप के प्रशासक के खिलाफ और द्वीप की पुलिस या स्थानीय सरकार की कथित मनमानी के खिलाफ 11 रिट याचिकाओं सहित 23 आवेदन दायर किए गए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा कानूनी अधिकार क्षेत्र को शिफ्ट करने के प्रस्ताव की है। हालांकि अब तक ये नहीं बताया गया है कि कानूनी क्षेत्र को शिफ्ट करने का प्रस्ताव किस वजह से रखा गया है। द्वीप के प्रशासक के सलाहकार ए अनबारसु और लक्षद्वीप के कलेक्टर एस अस्कर अली का भी इसे लेकर कोई बयान सामने नहीं है। सलाहकार और कलेक्टर दोनों के आधिकारिक ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए कानूनी अधिकार क्षेत्र को शिफ्ट करने के प्रस्ताव की वजह पूछी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कानून के अनुसार हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को केवल संसद के एक अधिनियम के माध्यम से शिफ्ट किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 241 में इसका जिक्र किया गया है। फोन पर पीटीआई से बात करते हुए, लोकसभा सदस्य मोहम्मद फैजल पीपी ने कहा, यह केरल से कर्नाटक में न्यायिक अधिकार क्षेत्र को शिफ्ट करने का उनका (पटेल) पहला प्रयास है। वह इसे शिफ्ट क्यों करना चाहते हैं... यह पूरी तरह से पद का दुरुपयोग है। इन द्वीपों के लोगों की मातृभाषा मलयालम है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि हाईकोर्ट का नाम केरल और लक्षद्वीप हाईकोर्ट है। फैजल ने कहा, इस प्रस्ताव की कल्पना द्वीपों की उनकी पहली यात्रा के दौरान की गई थी। वह इस प्रस्ताव को कैसे सही ठहरा सकते हैं?
फैजल ने कहा कि पटेल से पहले 36 प्रशासक रहे हैं और किसी के पास इस तरह का विचार नहीं था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य ने कहा, अगर इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाता है तो हम संसद के साथ-साथ न्यायपालिका में भी इसका जोरदार विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप बचाओ मोर्चा (एसएलएफ) केंद्र से जल्द से जल्द प्रशासक बदलने की अपील कर रहा है। उन्होंने कहा, एसएलएफ एक अहिंसक जन आंदोलन है जो केंद्रीय नेतृत्व से पटेल को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बदलने का अनुरोध करता रहा है जो लोगों का प्रशासक हो।
लक्षद्वीप के कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि मलयालम केरल और लक्षद्वीप दोनों में बोली जाने वाली और लिखित भाषा है। हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को शिफ्ट करने से द्वीपों की पूरी न्यायिक प्रणाली बदल जाएगी क्योंकि सभी न्यायिक अधिकारियों को कॉमन भाषा और लिपि के कारण केरल हाईकोर्ट से भेजा जाता है। लक्षद्वीप के प्रमुख वकील सी एन नूरुल हिद्या ने कहा कि उन्होंने अधिकार क्षेत्र बदलने के मुद्दे के बारे में सुना है। लेकिन यह सही कदम नहीं है। जब हम भाषा के बंधन को शेयर करते हैं तो वे अधिकार क्षेत्र को कैसे बदल सकते हैं? अदालती दस्तावेज केवल मलयालम भाषा में स्वीकार किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करेंगे क्योंकि इससे उन्हें न्याय से वंचित होना पड़ेगा। हिद्या ने कहा, यह समझना होगा कि केरल में हाईकोर्ट सिर्फ 400 किलोमीटर दूर है, जबकि कर्नाटक का हाईकोर्ट 1,000 किलोमीटर से अधिक दूर है और कोई सीधी कनेक्टिविटी भी नहीं है। कानूनी विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को बदलने का मतलब सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ भी होगा क्योंकि वर्तमान में विचाराधीन सभी मामलों की फिर से सुनवाई करनी होगी।
Created On :   20 Jun 2021 7:52 PM IST