भूख हड़ताल पर बैठे कैदियों के पत्र पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट
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डिजिटल डेस्क,मुंबई। पुणे के येरवडा जेल में भूख हड़ताल पर बैठे 865 विचाराधीन कैदियों के पत्र का संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को कोरोना के चलते उच्चाधिकार कमेटी के निर्णय के तहत कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे ने इस मामले में सरकार को 8 अप्रैल तक अपना जवाब देने को कहा है।
दरसअल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत राज्य सरकार ने कैदियों की रिहाई के संबंध में उच्चाधिकार कमेटी बनाई है। कमेटी ने ऐसे अपराध के कैदियों को शर्तों के साथ 45 दिनों के लिए रिहा करने का निर्णय किया है जिन्हें सात साल की सजा सुनाई गई है अथवा जो ऐसे अपराध में विचाराधीन कैदी है।
उच्चाधिकार कमेटी के इस निर्णय की बाबत कैदियों ने हाईकोर्ट को पत्र लिखा है, जिसमें दावा किया गया है कि जेल प्रशासन ने 865 कैदियों के रिहा किए जाने की पात्रता से जुड़ी जानकारी अब तक कमेटी को उपलब्ध नहीं कराई है। पत्र में कैदियों ने आग्रह किया है कि जेल में बंद कैदियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए। पत्र में कैदियों ने कहा है कि यदि कोरोना के चलते जेल में किसी कैदी की मौत होती है तो इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाए। और कैदियों के परिजनों को दो करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शशिकांत चौधरी ने कैदियों के पत्र का न्यायमूर्ति शिंदे के सामने उल्लेख किया। उन्होंने ने कहा कि इस मामले को देखने के लिए एक निगरानी कमेटी गठित की जाए जो जेल में कोरोना के प्रसार को रोकने के संबंध में जारी निर्देशो को लागू किए जाने के पहलू पर नजर रख सके। वर्तमान में जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जाना चिंता का विषय है। इसलिए कैदियों की भूख हड़ताल को खत्म करने के लिए कोर्ट की ओर से निर्देश दिया जाना जरूरी है। इस दौरान सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने कहा कि कैदियों का पत्र सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किए गए दिशा- निर्देशों का पालन कर रही है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने राज्य सरकार को 8 अप्रैल तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
Created On :   31 March 2020 9:07 PM IST