जन्मजात बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग महिला को मिली नई जिंदगी

Elderly woman suffering from congenital disease got new life
जन्मजात बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग महिला को मिली नई जिंदगी
डीवीटी के कारण चलना-फिरना हो गया था मुश्किल  जन्मजात बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग महिला को मिली नई जिंदगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जन्मजात डीप वेन थ्रोम्बोसिस बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग महिला को एक नई जिंदगी मिली है। इस बीमारी की वजह से महिला चलने-फिरने में असमर्थ थी। वे हमेशा अपने परिवार पर निर्भर रहती थीं। लेकिन डॉक्टरों के सफल प्रयास से न सिर्फ महिला की जान बची बल्कि अब वह चलने- फिरने भी लगी हैं।  विरार निवासी वंदना देसाई (बदला हुआ नाम) को फरवरी से पैरों में दर्द और सूजन थी। असहनीय दर्द के कारण परिवारवालों ने उन्हें स्थानीय अस्पताल में दिखाया। जांच में महिला में डीप वेन थ्रोम्बोसिस बीमारी पता चली। मीरारोड के निजी अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष मिश्रा ने बताया कि महिला की बाएं पैर की सूजन बाएं ग्रोइन तक बढ़ गई थी, जो खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। मरीज पर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी और पीटीए-परक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनल एंजियोप्लास्टी के रूप में सफल सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद मरीज की सेहत में तेजी से सुधार हुआ। फिलहाल वह घर पर आराम कर रही हैं। 

उठ-बैठ नहीं पाती थीं : महिला ने बताया कि पैर में सूजन की वजह से उठ-बैठ नहीं पाती थी। हर काम के लिए परिजनों पर निर्भर रहना पडता था। नसों से संबंधित जन्मजात शारीरिक विकार के चलते उन्हें डीवीटी जैसी बीमारी थी। ऑपरेशन के बाद बेहतर महसूस कर रही हूं। रोजमर्रा के काम खुद कर लेती हूं।

क्या है डीवीटी : डॉ. आशीष ने बताया कि डीवीटी एक चिकित्सा स्थिती है, जो पैरों में होती है। यह आघात, संक्रमण, सूजन या अन्य वजहों से हो सकता हैं। सर्जरी, चोट, गर्भावस्था, हार्मोन थेरेपी, कैंसर और कुछ आनुवंशिक बीमारियों के कारण डीवीटी होने का खतरा रहता है। थक्का रक्त के प्रवाह को बाधित करता हैं। सूजन, दर्द और संभावित गंभीर जटिलताओं का कारण बनता है। यदि थक्का अलग हो जाता है और फेफडों तक जाता है तो जान भी जा सकती है।

ये हैं लक्षण : डीवीटी के लक्षणों में प्रभावित क्षेत्र में दर्द, सूजन और लालिमा शामिल है। कुछ लोगों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके निदान में अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षण शामिल हैं और उपचार में आमतौर पर रक्त को पतला करने वाली दवाइयां दी जाती हैं ताकि थक्के को बढ़ने या फेफड़ों तक जाने से रोका जा सके। 

Created On :   26 April 2023 2:55 PM IST

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