पापी व्यक्ति का अन्न ग्रहण करने से नष्ट होती है बुद्धि 

Consuming the food of a sinful person destroys the intellect.
पापी व्यक्ति का अन्न ग्रहण करने से नष्ट होती है बुद्धि 
पन्ना पापी व्यक्ति का अन्न ग्रहण करने से नष्ट होती है बुद्धि 

डिजिटल डेस्क, शाहनगर नि.प्र.। शाहनगर के समीप देवरी ग्राम में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक आचार्य पंडित प्रभुदास जी महाराज द्वारा महाभारत में भीष्म पितामह के बाणों की शैया पर लेटे हुए पाण्डवों को उपदेश देने और द्रोपदी के प्रश्न की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भीष्म पितामह जब पाण्डवों को उपदेश दे रहे थे उसी दोैरान द्रोपदी हँसने लगी इस पर भीष्म पितामह ने हँसने का कारण पॅूछा तो द्रोपदी द्वारा चीर हरण के दौरान भीष्म पितामह के सबसे आगे बैठे होनेे बावजूद उसका प्रतिकार नहीं करने की बात कही गई। इस पर भीष्म पितामह ने कहा कि उन्होंने दुष्ट दुर्याेधन का भोजन ग्रहण किया था और उसी प्रभाव से मति विकृत हो गई धर्म-अधर्म का भेद नहीं जान पाया। यद्यपि मैंने जीवन में कोई पाप नहीं किया था केवल एक पाप मुझसे हुआ कि मूर्छित सांप को कांटो से भरी झाडिय़ो में डाल दिया और उसी दोष के कारण मुझे बाणों की शैया प्राप्त हुई है जब तक दुर्याेधन का खाया हुआ अन्न मेरे शरीर पर रहेगा तब तक अपने प्राणों का त्याग नहीं करूँगा। उन्होंने गोविन्द के चरणों में ध्यान लगाते हुए उत्तरायण में प्राण त्यागे। अर्थात पापियों के अन्न को ग्रहण करने से भी बुद्धि नष्ट हो जाती है और इसका दोष भुगतना पडता है। भीष्म पितामह की अंतर ज्योति निकलकर श्री हरि गोविंद के चरणों में समाहित हो गई। इस दौरान कथा पंङाल परिसर पर प्रथम श्रोता राम प्रसाद शुक्ला एवं उनकी धर्म पत्नी श्रीमती मूलवती शुक्ला सहित नारायण शुक्ला, भुवनेश्वर शुक्ला, हरिनारायण शुक्ला, रामप्रकाश शुक्ला, सुरेश दुबे, रामरूद्र शुक्ला, सिया शरण शुक्ला, मदन गोपाल शुक्ला सहित ग्रामीणजन उपस्थित रहे।  

Created On :   18 April 2023 12:35 PM IST

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