जीनोम सिक्वेेंंसिंग के मामले में छत्तीसगढ़ अब भी ओडिशा तथा अन्य राज्यों के भरोसे
डिजिटल डेस्क, रायपुर। कोरोना को लेकर राज्य व केन्द्र सरकार अलर्ट है। कोरोना से निपटने की तैयारियों और व्यवस्थाओं की मॉक ड्रिल भी पूरे देश में एक साथ हुई। इसी दौरान एक ऐसी खामी सामने आई, जिसने यह सोचने विवश कर दिया कि क्या वाकई सरकार कोरोना से निपटने गंभीर है। मामला ण्डवांस लैब से जुड़ा है जिसकी मंजूरी की फाइल ठाई साल से केन्द्र के पास अटकी है। राज्य की ओर से बीते ढाई साल से एक दर्जन से ज्यादा बार पत्र लिखे जा चुके हैं। इसके अलावा कोरोना की तीनों लहर के दौरान जितनी भी बार केंद्र की ओर से राज्य के साथ मंत्री, सचिव स्तर पर जितनी भी बार बैठकें हुई उसमें ये मुद्दा उठाया गया। साल की शुरुआत में वायरोलॉजी सर्विलांस की राष्ट्रीय बैठक में भी प्रदेश की ओर से नेहरु मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में जीनोम जांच के लिए अनुमति देने की मांग की गई थी, लेकिन अनुमति नहीं मिली।
2019 से हो रहे प्रयास
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद से राज्य शासन इस कोशिश में है कि यहां प्रदेश के संस्थान को भी जीनोम जांच की अनुमति केंद्र से मिल जाए। लेकिन, ढाई साल में ऐसा नहीं हो पाया है। इसलिए छत्तीसगढ़ जीनोम सिक्वेेंंसिंग के मामले में अब भी ओडिशा तथा अन्य राज्यों के भरोसे है।बताया जाता है कि राज्य की ओर से खुद स्वास्थ्य मंत्री इसके लिए अब तक एक दर्जन से ज्यादा बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर। केंद्र की ओर से अब तक केवल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ही संस्थान यानी एम्स रायपुर को मंजूरी दी गई है।
कैसे हो जांच
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही जब डेल्टा वैरिएंट कहर बरपा रहा था। उस वक्त राज्य की ओर से नेहरु मेडिकल कॉलेज में एडवांस जीनोम लैब बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इसके लिए उस वक्त करीब 4 करोड़ के बजट का आंकलन भी किया गया था।जिसमें मशीनों के लिए करीब डेढ़ से दो करोड़ खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। स्वास्थ्य राज्य का विषय है बावजूद इसके प्रदेश में जीनोम जांच के लिए एडवांस लैब के लिए मंजूरी का पूरा अधिकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास ही है। कोरोना के दौर में वैरिएंट की जांच एक अहम जरूरत बनकर उभरी ह। बावजूद इसके जीनोम टेस्ट के लिए अभी तक प्रदेश को मंजूरी नहीं मिली।
Created On :   30 Jan 2023 7:25 PM IST