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अमरनाथ यात्रा: धर्म के आगे श्रध्दालु जान देने के लिए तैयार!
डिजिटल डेस्क,श्रीनगर। भारत में हर साल लाखों लोग अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। ये यात्रा सदियों से चली आ रही हैं। इस देश के हर हिंदू का सपना होता हैं, वह अमरनाथ यात्रा पर जाये। तो फिर सरकार क्यो नही श्रध्दालुओं के लिए बेहतर इंतजाम करती हैं? एक बार फिर से प्राकृतिक तबाही ने हमारी सरकार के सामने ये सवाल खड़ा कर दिया हैं. क्या लोगों की जिंदगी से ज्यादा बड़ा हैं धर्म? क्यों ने ऐसी धार्मिक यात्रा का आयोजन करने से पहले लोगों के लिए बेहतर सुविधाओ का इंतजाम किया जाए । जब शुक्रवार को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर बादल फटने की घटना सामने आई थी तब अमरनाथ गुफा में लगभग 10 से 15 हजार लोग वहां मौजूद थे. बादल फटने की घटना पवित्र गुफा के एक से दो किलोमीटर के दायरे में हई।
29 जुलाई 2021 को भी यहां बादल फटा था, लेकिन कोरोना के कारण यात्रा बंद थी और घटना आपदा नही बनी, इस साल ठीक उसी जगह से जल सौलाब गुजरा था जहाँ इस साल टेंट लगाये गये हैं। नतिजन 25 टेंट बह गए, जिनमें कई यात्री ठहरे हुए थें।
नौ साल पहले हुई तबाही से सबक लेना होगा। इस पर गंभीरता से सोचना होगा कि धर्म बड़ा है या फिर एक इंसान की जान. कुछ लोग इस पर बहस भी कर सकते हैं कि नहीं, धर्म ही बड़ा है. तो उन्हें इस सवाल का जवाब भी देना चाहिए कि जब संसार में इंसान ही नहीं रहेगा, तो उस धर्म को भला कौन धारण करेगा? साल 2013 में केदारनाथ धाम में इसी तरह के बादल फटने की घटना हुई थी लेकिन उसका रूप बेहद विकराल था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तब उस प्राकृतिक तबाही में पांच हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. हालांकि उस आंकड़े के सच को आज भी कोई नहीं मानता और कई नेता तो उसके तिगुना या दोगुना होने के दावे आज भी करते हैं.
Created On :   11 July 2022 5:52 PM GMT