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मध्य प्रदेश: सरकारी नौकरी में उपयोग किया जाति प्रमाण पत्र, पब्लिक डॉक्यूमेंट, आरटीआई में जानकारी नहीं देना पड़ा भारी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश सूचना आयोग ने एक अहम निर्णय दिया है। निर्णय में कहा है कि सरकारी नौकरी के लिए उपयोग किया गया जाति प्रमाण पत्र पब्लिक डॉक्यूमेंट है न कि किसी की व्यक्तिगत जानकारी। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि सरकारी नौकरी के समय जो दस्तावेज विभाग को दिए जाते हैं जैसे जाति प्रमाण पत्र या जन्मतिथि या फिर नौकरी से संबंधित या डिग्री से संबंधित जो भी कागज, वो सब सार्वजनिक दस्तावेज होते है। दअसल सूचना आयोग मध्यप्रदेश में एक अपील की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त ने यह निर्णय दिया जाति प्रमाण पत्र आरटीआई में देने के आदेश दिए है।
राहुल सिंह ने आदेश में लिखा कि जिस आधार पर नौकरी और प्रमोशन मिलता है उसके कागज व्यक्तिगत बताकर रोकना अवैध है। सिंह ने प्रकरण मे हुई लापरवाही के लिए सहकारिता आयुक्त को जबलपुर की आरटीआई आवेदिका को 1000 क्षतिपूर्ति राशि अदा करने के आदेश भी जारी किए हैं। मामला जबलपुर के सहकारिता विभाग का है, यहां कार्यरत ममता धनोरिया ने इसी कार्यालय में काम करने वाली एक अन्य सहयोगी हेमलता हेडाऊ की जानकारी आरटीआई में मांगी ली। हेमलता ने ममता के एससी,एसटी एक्ट में एफआईआर भी दर्ज करा रखी है। इस मामले में जानकारी रोकने के उपायुक्त सहकारिता विभाग जबलपुर के निर्णय को राहुल सिंह ने विधि विरुद्ध ठहराया है।
आयोग में हेमलता ने अपनी जानकारी को ममता को उपलब्ध कराने का विरोध किया। पर जब सिंह ने हेमलता से पूछा की जाति की जानकारी शासकीय कार्यालय में व्यक्तिगत कैसे हो सकती है तो हेमलता कोई सही जवाब नहीं दे पाई। हेमलता ने जबलपुर हाईकोर्ट का एक निर्णय लगाते हुए जानकारी को व्यक्तिगत बताते हुए रोकने के लिए कहा। सिंह ने जबलपुर हाई कोर्ट के निर्णय को इस मामले पर प्रभावी न होने के आधार पर हेमलता की दलील को खारिज कर दिया। सिंह ने अपने आदेश में कहा कि शासकीय नौकरी में नियुक्ति के समय लगाए गए जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज आरटीआई की धारा 2 के तहत पब्लिक दस्तावेज है। इसे अक्सर अधिकारी धारा 8(1) (जे) के तहत व्यक्तिगत दस्तावेज बता कर रोक देते है।
Created On :   19 Feb 2024 9:08 PM IST