विधानसभा चुनाव 2023: बिलासपुर संभाग में विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में होते है एससी और एसटी मतदाता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा संभाग बिलासपुर है। बिलासपुर में कुल 8 जिले है। बिलासपुर संभाग में गौरेला पेंड्रा मरवाही,बिलासपुर,मुंगेली,रायगढ़,कोरबा,जांजगीर चांपा,सक्ति,सारंगढ़ बिलाईगढ़ आते है।
इसमें कुल 24 विधानसभा सीट है। इनमें पांच सीटें अनुसूचित जनजाति, चार सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया। 24 सीटों में से 13 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। बीजेपी ने यहां 7 सीटें मिली थी। जबकि 2 -2 सीटें बीएसपी और जोगी कांग्रेस को मिली थी।
संभाग में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। बिलासपुर संभाग की सियासी राजनीति में जातियों का अहम रोल है। जांजगीर चांपा, सारंगढ़, रायगढ़ , सक्ति मुंगेली जिलों में एससी मतदाताओं की संख्या अधिक है। जो किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते है। ।यहां कि पॉॉलिटिक्स में अनुसूचित जाति मतदाताओं का दबदबा है। जांजगीर चांपा से बसपा संस्थापक कांशीराम ने 1986 में लोकसभा चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। इसलिए यहां बीएसपी का वोट बैंक मजबूत है। इलाके को बीएसपी का स्ट्रांन्ग होल्ड माना जाता है।
छत्तीसगढ़ का सियासी सफर
1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।
प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की गग्गी संभाली थी। पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी गद्दी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।
Created On :   17 Sept 2023 3:46 PM IST
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