शीतकालीन सत्र: संविधान के साथ मनुस्मृति लेकर सदन में पहुंचे राहुल गांधी, एकलव्य की कहानी सुना कर बीजेपी पर साधा निशाना
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- राहुल गांधी ने एकलव्य के जरिए बीजेपी पर साधा निशाना
- संविधान के साथ मनुस्मृति लेकर सदन में पहुंचे राहुल गांधी
- महात्मा गांधी और अंबेडकर का राहुल ने सदन में किया जिक्र
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर सदन में भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और केंद्र की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। साथ ही, राहुल गांधी ने एक बार फिर सदन में अडानी का मुद्दा उठाया। इसके अलावा उन्होंने महाभारत के एकलव्य का उदाहरण देकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में केंद्र सरकार भारत की जनता का अंगूठा काटने का काम कर रही है।
एकलव्य के जरिए बीजेपी पर निशाना
राहुल गांधी ने कहा कि लड़ाई इन दो किताबों के बीच की है- संविधान बनाम मनुस्मृति। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि एकलव्य जब द्रोणाचार्य के पास गए तो उन्होंने कहा कि मैं वर्षों से धनुष चलाना सीख रहा हूं। आप मेरे गुरू बनिए। द्रोणाचार्य ने एकलव्य से कहा कि आप ऊंची जाति से नहीं हैं, इसलिए मैं आपका गुरू नहीं बनूंगा। कुछ समय बाद द्रोणाचार्य और पांडव जंगल से गुजर रहे थे, जहां एक कुत्ता भौंक रहा था, लेकिन अचानक कुत्ते की आवाज शांत हो गई। द्रोणाचार्य और पांडव जब आगे बढ़े तो देखा कि कुत्ता बाणों के जाल से घिरा हुआ था। द्रोणाचार्य ने पूछा कि ये तुम्हें किसने सिखाया? एकलव्य ने जवाब में कहा कि मैंने आपको गुरू मानकर मूर्ति बनाई और धनुर्विद्या का अभ्यास किया। ऐसे में द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया और एकलव्य ने अपना अंगूठा काट कर दे दिया। जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही ये सरकार भी देश का अंगूठा काट रही है। जब ये सरकार देश की संपत्ति अडानी को सौंपती है, तब इस देश के छोटे-बड़े उद्योगों और कारोबारियों का अंगूठा कटता है।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जैसे एकलव्य ने तैयारी की थी, वैसे ही हिंदुस्तान के युवा सुबह उठकर अलग-अलग परीक्षा की तैयारी करते हैं। लेकिन जब आपने अग्निवीर लागू किया, तब आपने उन युवाओं की उंगली काटी। जब पेपरलीक होता है, तब आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काटते हैं। आज आपने दिल्ली के बाहर किसानों पर आंसू गैस चलाया है। किसान आपसे MSP की मांग करते हैं, लेकिन आप अडानी-अंबानी को फायदा पहुंचाते हैं और किसानों का अंगूठा काटने का काम करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान में कहीं नहीं लिखा कि देश में मोनोपोली, पेपरलीक और अग्निवीर होने चाहिए। संविधान में कहीं नहीं लिखा कि देश के युवाओं का अंगूठा काटना चाहिए, उनका हुनर उनसे छीन लेना चाहिए।
राहुल गांधी ने किया सावरकर का जिक्र
राहुल गांधी ने लोकसभा सदन में कहा- मैं अपने भाषण की शुरुआत आपके (बीजेपी) सर्वोच्च नेता सावरकर और भारत के संविधान पर उनके विचारों तथा उनके विचार कि भारत को कैसे चलाया जाना चाहिए, के हवाले से करना चाहता हूं। सावरकर लिखते हैं- ''भारत के संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। मनुस्मृति वह ग्रंथ है जो वेदों के बाद सबसे अधिक पूजनीय है, तथा जो प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति, रीति-रिवाजों, विचारों और व्यवहारों का आधार रहा है। इस ग्रंथ ने सदियों से हमारे राष्ट्र की आध्यात्मिक और दैवीय यात्रा को संहिताबद्ध किया है। आज मनुस्मृति ही कानून है।'' ये सावरकर के शब्द हैं। सत्ता पक्ष के लोग संविधान का बचाव कर रहे हैं, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आप अपने नेता के शब्दों पर कायम हैं? लेकिन जब आप संविधान का बचाव करते हैं, तो आप सावरकर का उपहास उड़ाते हैं और उन्हें बदनाम करते हैं। राहुल गांधी ने कहा- "भारत के संविधान के बारे में सबसे बुरी बात तो यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है।" - ये बात आपके नेता सावरकर ने कही थी, जिसकी आप पूजा करते हैं।
महात्मा गांधी और अंबेडकर का जिक्र
राहुल गांधी ने कहा कि अपने पहले भाषण में मैंने युद्ध के विचार का वर्णन किया। मैंने महाभारत और कुरुक्षेत्र का वर्णन किया। आज भारत में युद्ध हो रहा है। और इस तरफ (हमारे तरफ) संविधान के विचार के रक्षक हैं। हमारे पास हर राज्य से संविधान के रक्षक हैं- अगर आप तमिलनाडु के बारे में पूछेंगे, तो हमारे पास पेरियार हैं। अगर आप कर्नाटक के बारे में पूछेंगे, तो हमारे पास बसवन्ना हैं। अगर आप महाराष्ट्र के बारे में पूछेंगे, तो हम फुले जी, अंबेडकर जी कहेंगे। अगर आप गुजरात के बारे में पूछेंगे, तो हमारे पास महात्मा गांधी हैं। आप इन लोगों की प्रशंसा झिझकते हुए करते हैं क्योंकि आपको करना ही पड़ता है। लेकिन सच्चाई यह है कि आप चाहते हैं कि भारत को उसी तरह चलाया जाए जिस तरह से इसे चलाया जाता था।
अभय मुद्रा पर भी चर्चा
राहुल गांधी ने कहा कि अपने पिछले कुछ भाषणों में मैंने अभय मुद्रा की अवधारणा के बारे में बात की थी। निर्भयता, सत्य और अहिंसा की अवधारणा। मैंने अभय मुद्रा प्रदर्शित करने वाले विभिन्न धर्मों की तस्वीरें भी दिखाईं। लोग हमारे संविधान को दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान कहते हैं, लेकिन इसमें हमारे राष्ट्र के एक दर्शन में निहित विचारों का एक समूह है। जब हम संविधान खोलते हैं, तो हम अंबेडकर, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की आवाजें और विचार सुन सकते हैं। वे विचार कहां से आते हैं? वे विचार इस देश की एक पुरानी, गहन परंपरा से आते हैं, जिसमें शिव, गुरु नानक, बसवन्ना, बुद्ध, महावीर, कबीर और अन्य लोगों की एक लंबी सूची शामिल है। इसलिए, जब हम संविधान की बात करते हैं और इसे दूसरों को दिखाते हैं, तो बेशक यह आधुनिक भारत का एक दस्तावेज है, लेकिन यह प्राचीन भारत और उसके विचारों के बिना कभी नहीं लिखा जा सकता था।
Created On :   14 Dec 2024 3:46 PM IST