पहाड़ी राज्य में मिली जीत, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए साबित होगी संजीवनी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस 40 सीटों पर बहुमत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है। वहीं, बीजेपी केवल 25 सीटों पर सिमट गई। 2018 के बाद कांग्रेस पार्टी के पास यह पहला मौका है, जब उसे किसी राज्य में अपने दम पर सत्ता हासिल हुई है। माना जा रहा है कि पंजाब, यूपी, गोवा, मणिपुर, बिहार समेत कई राज्यों में बुरी तरह से हारने वाली कांग्रेस के लिए हिमाचल की जीत किसी संजीवनी से कम नहीं है। हिमाचल में कांग्रेस की जीत के पीछे की सबसे बड़ी वजह पुरानी स्कीम को लागू करने का वादा किए जाने को बताया जा रहा है, जो पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान किया था। हालांकि, इससे पहले पार्टी कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन की बहाली का फैसला ले चुकी है।
अपने वादों के दम पर पहाड़ी राज्य में बीमार कांग्रेस को जीत की संजीवनी मिली है। फिलहाल अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम का कार्ड खेल सकती है। इससे पहले पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में भी इस योजना को लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन यह ऐलान सीधे तौर पर जनता को प्रभावित नहीं कर पाया था। इससे अलावा देश में कर्मचारियों का एक ऐसा वर्ग है, जिन्हें पुरानी पेंशन स्कीम का वादा लुभा सकता है।
यानी कांग्रेस की ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा भाजपा को परेशान कर सकता है। कांग्रेस पार्टी इस स्कीम के जरिए सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को लुभाने का प्रयास करेगी। पार्टी यह मान कर चल रही है कि युवा वर्ग भी पार्टी के इस वादे पर कांग्रेस का साथ दे सकते हैं।
देश में अलग-अलग वर्गों का वोट बैंक कांग्रेस के हाथों से लगातार दूर होता जा रहा है। यूपी, बंगाल जैसे राज्यों की बात करें तो पार्टी किसी एक वर्ग की दावेदारी की बात नहीं कह सकती है। मुस्लिम वोट बैंक उन दलों को मिलता रहा है जो भाजपा को हराने की स्थिति में हों। यही कारण है कि हिंदी बेल्ट समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन धीरे - धीरे गिरता जा रहा है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम के मुद्दे के जरिए कांग्रेस तेजी से इस संकट को खत्म करने की स्थिति में होगी। 2024 आम चुनाव में ओल्ड पेंशन और बेराजगार युवाओं के नौकरियों का मुद्दा उठाकर कांग्रेस सत्ता हासिल करने की कोशिश कर सकती है।
जीत से कांग्रेस का बढ़ा आत्मविश्वास
साल 2014 के बाद राजनीतिक विश्लेषक लगातार यह कह रहे है कि भाजपा के खिलाफ सीधे मुकाबले में कांग्रेस हार जाती है। युपी चुनाव में बीजेपी से बुरी तरह से हार जाना हो या फिर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों पराजित होना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यानी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को कमतर आंका जाता है। लेकिन हिमाचल चुनाव में दोनों पार्टियों की आमने सामने टक्कर हुई। इससे यह साफ हो गया कि भाजपा का विरोधी वोट बैंक कांग्रेस को मिला है। इस जीत से कांग्रेस पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा होगा कि वह भाजपा को हराने में अभी भी सक्षम है।
Created On :   9 Dec 2022 2:50 PM IST