जाटों का जजमेंट तय करेगा यूपी की सरकार, पहले ही चरण में जाट कर देंगे सरकार की तकदीर का फैसला!
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में बस कुछ ही दिन ही बचे हैं। सभी राजनीतिक दल जोर शोर से चुनावी प्रचार में जुटे हैं। इस वक्त यूपी की सियासत में हर दिन नई बयानबाजी सुनने को मिल रही। राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सपा, भाजपा, कांग्रेस व बसपा लोकलुभावन चुनावी घोषणाएं भी कर रही है। हालांकि इन घोषणाओं का यूपी चुनाव पर कितना असर पड़ेगा, ये सभी तस्वीरें 10 मार्च को मतगणना के दिन साफ हो जाएगी।
आपको बता दें कि पश्चिमी यूपी के कई जिलों में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है। पश्चिमी यूपी को जाट लैंड के नाम से जाना जाता है। इसको लेकर एक कहावत भी है कि जिसके जाट, उसकी ठाठ। इसकी शुरूआत भी जाटलैंड से हो रही है। जहां जाट लैंड के नेता माने जा रहे आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी का सियासी भविष्य तय होगा। पश्चिमी यूपी में जाट वोटों पर सभी राजनीतक दलों की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि बीजेपी भी जाट वोटों पर दांव खेल रही है। जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जाट मतदाता किसके साथ जाना पसंद करेगा?
पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय का प्रभाव
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह को जाट समुदाय का मसीहा माना जाता है, जिन्होंने राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से ही की थी। साल 1967 में चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर अपने समर्थक विधायकों के साथ क्रांति दल नाम से पार्टी का गठन किया था। इसके बाद वो पहली बार गैर-कांग्रेसी यूपी के मुख्यमंत्री बनें और फिर बाद में प्रधानमंत्री बनें। कहा जाता है कि यूपी की सियासत में चरण सिंह चौधरी और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की ठाठ ऐसी थी कि इनके बिना केंद्र की सरकार बन पाना मुश्किल हो जाता था।
गौरतलब है कि यूपी में भले ही जाटों की आबादी 3 से 4 फीसदी के बीच है, लेकिन पश्चिमी यूपी में 17 फीसदी के करीब जाट है। लोकसभा की एक दर्जन से ज्यादा और विधानसभा सीटों की बात करें तो 120 सीटें ऐसी हैं, जहां पर जाट वोट बैंक काफी ज्यादा प्रभाव रखता है। पश्चिमी यूपी की कुछ सीटों पर जाट वोटों का इतना असर है कि हार-जीत तय करने की ताकत रखते हैं। बता दें कि पश्चिमी यूपी में 30 सीटें ऐसी हैं, जिन पर जाट वोटर्स को निर्णायक माना जाता है।
खाप पंचायत में होता है फैसला
आपको बता दें कि जाट समाज पर नेताओं से सबसे ज्यादा असर खाप पंचायतों का है। जाट समाज के तमाम फैसले खाप पंचायत में तहत ही होते हैं। ऐसे में चुनाव में किस पार्टी को वोट करना है, ये भी खाप पंचायत पर ही निर्भर करता है। बता दें कि जाट समाज में भी अलग-अलग कई खाप पंचायत हैं। जिनमें सबसे बड़ी खाप बालियान खाप है, जिसके अध्यक्ष नरेश टिकैत हैं। इसके अलावा गठवाला खाप, देशवाल खाप, , कालखांडे खाप, लाटियान खाप, बत्तीस खाप, चौगाला खाप, अहलावत खाप हैं। बालियान और गठवाला खाप प्रमुख है, जिसकी पश्चिमी यूपी के जाट समुदाय के बीच मजबूत पकड़ है।
Created On :   20 Jan 2022 5:21 PM IST