राम सेतु पर फरवरी के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करेगी केंद्र सरकार

The Central Government will present its reply on Ram Setu in the Supreme Court in the first week of February.
राम सेतु पर फरवरी के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करेगी केंद्र सरकार
नई दिल्ली राम सेतु पर फरवरी के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करेगी केंद्र सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर फरवरी के पहले सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने स्वामी को आश्वासन दिया कि मामले की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में की जाएगी।

पीठ ने भाजपा नेता से यह भी कहा कि इस मामले की आज सुनवाई होने की संभावना नहीं है क्योंकि संविधान पीठ चल रही है। मामले को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। स्वामी ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने की प्रतिबद्धता जताई थी और अदालत से इस मामले में कैबिनेट सचिव को तलब करने को कहा था।

उन्होंने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि काउंटर 12 दिसंबर तक दायर किया जाएगा। लेकिन यह अभी तक दायर नहीं किया गया है। पहले, उन्होंने कहा कि यह तैयार है। मेहता ने तर्क दिया कि चर्चा चल रही है और मामला विचाराधीन है, और अदालत से फरवरी के पहले सप्ताह में मामले की सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने का आग्रह किया। खंडपीठ ने मामले को फरवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

स्वामी की याचिका में राम सेतु को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई है। गौरतलब है कि राम सेतु, जिसे एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पंबन द्वीप या रामेश्वरम द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है।

स्वामी ने तर्क दिया कि सरकार पहले ही राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार कर चुकी है और 2017 में उनकी मांग की जांच के लिए एक बैठक भी बुलाई गई थी, लेकिन उसके बाद भी चीजें आगे नहीं बढ़ीं। पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया था कि राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने वाली याचिका को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। यूपीए सरकार ने 2007 में सेतुसमुद्रम परियोजना का प्रस्ताव दिया था।

इस परियोजना के तहत मन्नार को पाक जलडमरूमध्य से जोड़ने के लिए व्यापक ड्रेजिंग और चूना पत्थर के शोलों को हटाकर 83 किलोमीटर लंबी गहरे पानी की नहर बनाई जानी थी। स्वामी ने इस फैसले के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की और सरकार ने मन्नार को पाक जलडमरूमध्य से जोड़ने के लिए दूसरी योजना का सहारा लिया।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   12 Jan 2023 3:00 PM IST

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