गोवा में विधायकों के दलबदल पर सुप्रीम कोर्ट बोला, हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है!

Supreme Court said on the defection of MLAs in Goa, to what extent our morality has fallen!
गोवा में विधायकों के दलबदल पर सुप्रीम कोर्ट बोला, हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है!
गोवा सियासत गोवा में विधायकों के दलबदल पर सुप्रीम कोर्ट बोला, हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोवा में विधायकों के दलबदल पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, अब हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है! शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गोवा कांग्रेस के नेता गिरीश चोडनकर की याचिका को अगले साल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

इससे पहले 2019 में कांग्रेस और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) से भाजपा में शामिल होने वाले गोवा विधानसभा के 12 सदस्यों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और हिमा कोहली की पीठ से मामले को स्थगित करने का आग्रह किया, क्योंकि उनके वरिष्ठ किसी अन्य अदालत में थे। पीठ ने सवाल किया, चूंकि अगला चुनाव हो चुका है, तब क्या यह निष्फल नहीं हो गया है?

वकील ने तर्क दिया कि इसमें विशेष रूप से महाराष्ट्र की स्थिति की पृष्ठभूमि के खिलाफ कानून का एक बड़ा सवाल शामिल है। उत्तरदाताओं के वकील ने प्रस्तुत किया कि यह विशुद्ध रूप से एक अकादमिक अभ्यास बन गया है। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह अपने वरिष्ठ को अपराह्न् 3.30 बजे अदालत में उपस्थित होने के लिए कहें। जब मामले को दोपहर 3.30 बजे के बाद सुनवाई के लिए बुलाया गया, तो याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से मामले की सुनवाई बुधवार को निर्धारित करने का अनुरोध किया, यह कहते हुए कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है।

वकील ने कहा कि हाल ही में कांग्रेस के नौ विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और इस मामले में शामिल बड़े कानूनी प्रश्न पर विचार करने के लिए अदालत पर दबाव डाला। जस्टिस शाह ने कहा, अब हमारी नैतिकता किस हद तक गिर गई है! पीठ ने मामले की सुनवाई अगले साल के लिए निर्धारित की, ताकि वह कानूनी सवालों पर विचार कर सके। प्रतिवादी विधायकों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह के साथ किया और अध्यक्ष का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने अधिवक्ता अभय अनिल अंतुरकर के साथ किया।

दलील में कहा गया है कि स्पीकर ने कांग्रेस के दलबदलुओं को सुरक्षा की गारंटी दी। जबकि नियम यह है कि जब किसी सदस्य की मूल राजनीतिक पार्टी का किसी अन्य पार्टी में विलय हो जाता है, तब विधायक दल के सदस्य को सुरक्षा की गारंटी दी जाती है। याचिका में शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई है और दावा किया गया है कि हाईकोर्ट के आदेश से राजनीतिक अराजकता हो सकती है और यह भी बताया गया है कि अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा के साथ कांग्रेस का डीम्ड मर्जर (माना हुआ विलय) था।

याचिका में कहा गया है कि यह माना गया विलय उसी हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णयों के अनुरूप था। इसने आगे तर्क दिया कि यह आदेश दल-बदल की बुराइयों को और बढ़ावा देगा, जो संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्य से अलग होगा। इस साल 24 फरवरी को गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया और गोवा स्पीकर के फैसले को बरकरार रखा।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हाईकोर्ट ने इस आधार पर एक गलत व्याख्या की कि विधायकों ने अपनी पार्टी का दो-तिहाई गठन किया और दूसरी पार्टी में विलय कर लिया, जिसने दसवीं अनुसूची के पैरा 4 के तहत सुरक्षा सुनिश्चित की। साल 2017 के गोवा चुनावों में कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, भाजपा ने सरकार बनाने के लिए अन्य दालों से गठबंधन किया। बाद में कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, जिससे सदन में इसकी संख्या कम हो गई।

(आईएएनएस)

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Created On :   6 Dec 2022 7:30 PM IST

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