रिजिजू ने नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चिदंबरम के ट्वीट का मुद्दा उठाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम द्वारा नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में टिप्पणी किए जाने के बाद कहा कि वह लोगों को गलत जानकारी न दें। रिजिजू ने ट्वीट किया, कृपया हमारे नागरिकों को गलत सूचना न दें।
चिदंबरम ने अपने ट्वीट में कहा, भले ही हम कानून को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं, यह इंगित करना आवश्यक है कि बहुमत ने निर्णय को बरकरार नहीं रखा है और न ही बहुमत ने निष्कर्ष निकाला है कि घोषित उद्देश्य पूरे हो गए थे। वास्तव में अधिकांश लोगों ने इस प्रश्न से दूरी बना ली है कि क्या उद्देश्य पूरे हुए थे?
इसके जवाब में रिजिजू ने पोस्ट किया, कांग्रेस की मुद्दे को मोड़ने और लोगों को गलत जानकारी देने की कोशिश बेनकाब हो गई है। उन्होंने एक निर्वाचित सरकार की वैध कार्रवाई को विफल करने के उनके दुर्भावनापूर्ण प्रयास सफल नहीं होंगे और पी. चिदंबरम फिर विफल हो गए।
चिदंबरम ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा, हम खुश हैं कि अल्पमत के फैसले ने नोटबंदी में अवैधता और अनियमितताओं को इंगित किया है। यह सरकार के बाजू पर केवल एक तमाचा हो सकता है, लेकिन बाजू पर एक स्वागत योग्य तमाचा है।
चिदंबरम ने अपने ट्वीट में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न का जिक्र किया, जो पांच न्यायाधीशों की पीठ में 2016 में नोटबंदी के खिलाफ बोलने वाले एकमात्र व्यक्ति थे, उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के कदम को गैरकानूनी करार दिया।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, असहमति वाला फैसला माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में दर्ज प्रसिद्ध असहमति में शुमार होगा। चिदंबरम ने आगे कहा कि अल्पसंख्यक निर्णय संसद की पूर्ण विधायी शक्ति और कार्यकारी सरकार की सीमित शक्ति के बीच गहरा अंतर लाता है।
उन्होंने ट्वीट किया, हम खुश हैं कि अल्पमत के फैसले ने लोकतंत्र में संसद की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में बेलगाम कार्यकारिणी संसद और जनता पर विनाशकारी फैसले नहीं थोपेगी।
हालांकि, रिजिजू ने दावा किया कि चिदंबरम जानते हैं कि जब वह कहते हैं कि उद्देश्यों को पूरा नहीं किया गया तो वह एक राजनीतिक तर्क दे रहे हैं, क्योंकि न तो बहुमत के फैसले ने और न ही अल्पमत के फैसले ने ही उस विवाद को स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कभी भी नोटबंदी जैसे फैसले के प्रभाव की जांच नहीं करता है। रिजिजू ने ट्वीट किया, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के विचार के लिए कभी नहीं उठाया जा सकता था, क्योंकि यह अनिवार्य रूप से कार्यपालिका के लिए है।
उन्होंने कहा, हालांकि, नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव जैसे आयकर में वृद्धि, काले धन पर अंकुश लगाना, जिसने आतंक के वित्तपोषण को बाधित किया, फर्जी कंपनियों का खुलासा और जरूरतमंदों को लाभ का सीधा हस्तांतरण सभी के लिए सार्वजनिक डोमेन में है। उन्होंने ट्वीट किया, हमारे नागरिक यह जानते हैं और उन्होंने मतदान के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास दिखाया है।
सरकार के 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के मूल्यवर्ग के नोटों को बंद करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 4:1 के बहुमत के फैसले में बनाए रखा, जिसमें कहा गया है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी।
(आईएएनएस)
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Created On :   3 Jan 2023 12:00 AM IST