ब्रिटेन दौरे पर गए राहुल गांधी ने मुस्लिम ब्रदरहुड से की संघ की तुलना? जानिए क्या है मुस्लिम ब्रदरहुड जिसके नाम से ही भारत में मच गया बवाल
डिजिटल डेस्क,दिल्ली। ब्रिटेन के दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर एक बार फिर से तीखी टिप्पणी करते हुए उसकी तुलना मिस्र के चरमपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड से की है। यही नहीं राहुल ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना सीक्रेट सोसाइटी के तहत ठीक उसी तरह से की गई जैसे मिस्र में ब्रदरहुड की हुई थी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि संघ पहले लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात कर सत्ता में आता है फिर उसे समाप्त करने में जुड़ जाता है। उन्होंने आगे कहा कि संघ की विचारधारा की वजह से भारत में दलित और आदिवासियों के साथ भेदभाव हो रहा है।
राहुल गांधी ने लंदन में थिंक टैंक चैथम हाउस में बातचीत के दौरान कहा कि डेमोक्रेटिक कॉम्पिटीशन का तरीका बिल्कुल बदल गया है। जिसके पीछे आरएसएस का हाथ है। संघ एक कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन है, जिसने भारत के सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में ये लोगों के द्वारा एक नैरेटिव चलाया जा रहा है कि बीजेपी को कोई हरा नहीं सकता है। मैं कहना चाहता हूं कि भाजपा हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहने वाली है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में प्रेस, न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग सभी खतरे में हैं।
राहुल गांधी के बयान पर वीएसपी ने सवाल उठाया है। वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने मीडिया से कहा कि राहुल गांधी अपने स्वार्थ के लिए देश के टुकड़े करना चाहते हैं। जैन ने कहा कि राहुल गांधी का व्यवहार टूलकिट मेंबर की तरह है।
साथ ही जैन ने संघ के बारे में कहा कि संगठन की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना करना गलत है।
क्या है मुस्लिम ब्रदरहुड
इस्लामिक देश बनाने की मांग को लेकर मिस्र में 1928 में सुन्नी नेता हसन अल बन्ना ने मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना की। हसन अल बन्ना मिस्र के एक स्कूल में शिक्षक और इमाम थे। उस समय बन्ना ने राजशाही शासन के सामने इस्लामीकरण करने की मांग रखी, जिसे ठुकरा दिया गया था। उस वक्त मिस्र में पश्चिमी देशों का प्रभाव जोरों पर था।
सरकार से मांग को न मानने के बाद हिज्ब अल इखवान अल मुस्लिमीन के सहारे मिस्र में बड़ा आंदोलन चलाया गया जिसमें कहा गया कि कुरान हमारा कानून है और जिहाद रास्ता। बन्ना ने अपने संदेश में कहा कि अल्लाह के उद्देश्य के लिए मरना हम सबके जीवन का लक्ष्य है। यह संदेश मिस्र में तेजी से फैला।
धीरे-धीरे संगठन का विस्तार होता गया और 1940 में इस संगठन से करीब 5 लाख लोग जुड़ गए। संगठन के विस्तार होने के बाद सरकार सकते में आ गई। वहीं इजराईल से युद्ध के दौरान मुस्लिम ब्रदरहुड ने फिलिस्तीन को समर्थन देने की बात कही और मिस्र सरकार को यहूदियों का प्रशंसक बता दिया। यही नहीं ब्रदरहुड अपनी अलग ही योजना पर काम कर रहा था उसने बाद में मिस्र में आंतरिक युद्ध छेड़ दिया जिसके बाद सरकार ने एक्शन लेते हुए संगठन के कई कार्यकताओं की गोली मारकर हत्या कर दी तो वहीं हजारों कार्यकताओं को जेल में डाल दिया गया।
आंशिक प्रतिबंध लगे
राजशाही शासन में पीएम रहे महमूद फहमी अल-नोकराशी की साल 1948 में हत्या कर दी गई जिसका आरोप मुस्लिम ब्रदरहुड पर लगा। क्योंकि जिस व्यक्ति ने गोली मारी थी वह इसी संगठन से जुड़ा हुआ था। इस घटना के बाद से ही संगठन पर सरकार ने आंशिक प्रतिबंध लगा दिया। इसे राजनीतिक संगठन की मान्यता छीनकर केवल इस्लामी संगठन के रूप में मान्यता दी गई।
बन्ना की हत्या
1949 में मुस्लिम ब्रदरहुड के सैकड़ों कार्यकर्ता मिस्र के ऑपरेशन में मारे जाते हैं। यही नहीं सरकारी एजेंटो द्वारा हसन अल बन्ना की हत्या भी कर दी जाती है।
1954 में लगा बैन
1952 में मिस्र से राजशाही खत्म हुई और गमाल अब्देल नासर मिस्र के राष्ट्रपति बने। लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड सैन्य शासन से नाराज थे। इसी बीच राष्ट्रपति को मारने का असफल प्रयास ब्रदरहुड के कार्यकर्ता अब्दुल मुनीम अब्दुल रऊफ ने किया।
इस घटना के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया और हजारों कार्यकर्ताओं को जेल में रखा गया।
इसी दौरान ब्रदरहुड के एक कार्यकर्ता ने सैय्यद कुतुब ने जिहाद की अवधारणा जेल में ही लिखी। बाद में इसी को आधार मानते हुए बनाते हुए अलकायदा और आईएसआईएस आतंकवादी संगठन बने। कुतुब को 1966 में फांसी दे दी गई। 1970 के दशक में अनवर अल सआदत को मिस्र की कमान मिली।
सआदत ने ब्रदरहुड से समझौता करने की कोशिश की, ब्रदरहुड ने शआदत की बातों को मानते हुए हिंसा छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद ब्रदरहुड के सभी कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा कर दिया गया।
1980 में हुई सहादत की हत्या का आरोप ब्रदरहुड से टूट कर बना अल जिहाद संगठन पर लगा। जिसके बाद देश में अशांति फैल गई। 1084 में हुए आम चुनाव में ब्रदरहुड ने वफाद पार्टी के साथ हाथ मिला लिया लेकिन ब्रदरहुड को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला। उनका उनका गठबंधन 450 में से सिर्फ 65 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। इसके बाद हुए कई चुनावों में भी ब्रदरहुड को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली।
साल 2019 में अमेरिका ने अल-सी-सी से ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने की बात कही थी। यही नहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया था कि ब्रदरहुड कई भाग में टूटकर फिर से मिस्र में हिंसा फैलाने का काम कर सकता है
Created On :   7 March 2023 6:48 PM IST